बचाव पक्ष के वकील ने न्यायपालिका का अपमान किया
बलिया : दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड की शिकार हुई लड़की के पिता ने दोषियों को फांसी की सजा राजनीतिक दबाव में दिये जाने के बचाव पक्ष के वकील की दलील को खारिज करते हुए आज कहा कि उस अधिवक्ता ने इस जघन्य मामले में माकूल फैसला देने वाली न्यायपालिका का अपमान किया है. लड़की के […]
बलिया : दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड की शिकार हुई लड़की के पिता ने दोषियों को फांसी की सजा राजनीतिक दबाव में दिये जाने के बचाव पक्ष के वकील की दलील को खारिज करते हुए आज कहा कि उस अधिवक्ता ने इस जघन्य मामले में माकूल फैसला देने वाली न्यायपालिका का अपमान किया है.
लड़की के पिता ने टेलीफोन पर बातचीत में कहा बचाव पक्ष के वकील मेरी बेटी के गुनहगारों को मौत की सजा दिये जाने को राजनीतिक दबाव में दिया गया फैसला बता रहे हैं और उनकी बातों से लग रहा है कि मानो वह न्यायपालिका को ही चुनौती दे रहे हैं. अगर उनकी बेटी या बहन के साथ वैसी वहशियाना वारदात हुई होती तो वह ऐसी बात कतई नहीं करते. उन्होंने कहा कि अदालत ने जो भी फैसला दिया है, वह राजनीतिक दबाव नहीं, बल्कि पक्के सबूतों के आधार पर दिया है और उन्हें विश्वास है कि अगर चुनौती दी गयी तो इस निर्णय पर उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय भी अपनी मुहर लगा देंगे.
लड़की के पिता ने कहा कि अब उनके परिवार को अपनी बेटी के खतावारों के फांसी पर लटकने का इंतजार है. उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से देश में बलात्कार जैसी वारदात के खिलाफ लगी लौ और तेज हुई है तथा इसे लगातार जलाये रखने की जरूरत है. गौरतलब है कि दिल्ली की साकेत अदालत द्वारा कल दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड के चार दोषियों मुकेश, अक्षय ठाकुर, पवन गुप्ता और विनय शर्मा को फांसी की सजा सुनाये जाने के बाद उनके वकील ने इसे राजनीतिक दबाव में लिया गया फैसला करार देते हुए कहा था कि अगर अगले डेढ़-दो महीने के दौरान देश में बलात्कार की एक भी घटना होती है तो वह इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.
पिछले साल 16 दिसम्बर की रात पैरा मेडिकल की एक 23 वर्षीय छात्रा से दिल्ली में चलती बस में छह लोगों ने बर्बर सामूहिक बलात्कार किया था. उस वारदात में घायल उस लड़की ने बाद में सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था. मामले के एक आरोपी राम सिंह ने जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी जबकि नाबालिग करार दिये गये एक अन्य दोषी को गत 31 अगस्त को तीन साल की सजा दी गयी थी.