झारखंड को तोहफा, सिंदरी के बंद कारखाने को चालू करने के लिए 6000 करोड की मंजूरी
नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने झारखंड के सिंदरी में बंद पडे यूरिया कारखाने के पुनरुत्थान तथा नामरुप, असम में नया यूरिया कारखाना लगाने को आज मंजूरी दे दी. इसमें कुल मिलाकर 10,500 करोड रुपये का निवेश होगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा […]
नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने झारखंड के सिंदरी में बंद पडे यूरिया कारखाने के पुनरुत्थान तथा नामरुप, असम में नया यूरिया कारखाना लगाने को आज मंजूरी दे दी. इसमें कुल मिलाकर 10,500 करोड रुपये का निवेश होगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सिंदरी में 13 लाख टन क्षमता के कारखाने को 6,000 करोड रुपये के निवेश से बहाल किया जाएगा. वहीं ब्रहमपुत्र वैली फर्टिलाइजर के असम स्थित कारखाने में 4500 करोड रुपये का निवेश होगा. नामरुप कारखाने की सालाना क्षमता सालाना 8.64 लाख टन यूरिया की होगी.
उर्वरक मंत्रालय के बयान के अनुसार इसके साथ ही मंत्रिमंडल ने ब्रहमपुत्र वैली फर्टिलाइजर कारपोरेशन के पुनर्गठन को भी मंजूरी दी है. इसके तहत 31 मार्च तक के 774.61 करोड रुपये के सारे संचयी ब्याज को माफ किया गया है.उर्वरक मंत्री ने कहा,‘ नामरुप संयंत्र एक संयुक्त उद्यम होगा जिसमें ब्रहमपुत वैली की 11 प्रतिशत, असम सरकार की 11 प्रतिशत व आयल इंडिया की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी. बाकी 52 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए वैश्विक बोली आमंत्रित होगी.
सिंदरी इकाई स्वतंत्र भारत की पहली सार्वजनिक इकाई (पीएसयू) थी. सरकार ने सिंदरी को बोली मार्ग के जरिए बहाल करने का फैसला किया है. यह कारखाना 2002 से परिचालन में नहीं है.
मंत्री ने कहा,‘ सरकार सिंदरी के साथ-साथ गोरखपुर, बरौनी, तलछर का भी पुनरुत्थान कर रही है तथा नामरुप में नया कारखाना लगा रही है. इन कारखानों के पुनरुत्थान से लगभग 73 लाख टन यूरिया उत्पादित होगी. समूचे पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत को लगभग 50 लाख टन यूरिया की जरुरत है. समूचा पूर्वी भारत व पूर्वोत्तर यूरिया के लिहाज से आत्मनिर्भर हो जाएगा.
’उन्होंने कहा कि सारी क्षमताओं से उत्पादन शुरु होने के बाद सरकार नेपाल व बांग्लादेश को यूरिया की आपूर्ति करने की स्थिति में होगी.
देश में यूरिया की सालाना खपत लगभग 310 लाख टन की है जिसमें से 230 लाख टन का देश में ही उत्पादन होता है जबकि बाकी मात्र में यूरिया आयात की जाती है.