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केजरीवाल को केंद्र का झटका, अधिसूचना के बाद अनिंदो मजूमदार फिर बने प्रधान सचिव

नयी दिल्ली: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच टकराव के बाद आज केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कह दिया कि नौकरशाहो की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण शक्ति प्राप्त है. इसके बाद से उपराज्यपाल ने फिर से अनिंदो मजूमदार को प्रधान सचिव (सेवा) पद पर नियुक्त कर दिया है. अनिंदो मजूमदार […]

नयी दिल्ली: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच टकराव के बाद आज केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कह दिया कि नौकरशाहो की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण शक्ति प्राप्त है. इसके बाद से उपराज्यपाल ने फिर से अनिंदो मजूमदार को प्रधान सचिव (सेवा) पद पर नियुक्त कर दिया है. अनिंदो मजूमदार ने आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और पदभार संभाला.

आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के साथ अपनी शक्तियों को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल को केंद्र ने नौकरशाहों की नियुक्ति में पूर्ण शक्ति दी है जिसके लिए उन्हें वरिष्ठ कर्मचारियों, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था जैसे विषयों पर मुख्यमंत्री से ‘‘सलाह’’ करने की जरुरत नहीं होगी.

दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को केंद्र सरकार के अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने से भी रोक दिया गया है.इस निर्णय का उद्देश्य संभवत: आप सरकार को पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली और केंद्र सरकार के कुछ अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों की तरह अन्य कार्रवाई से रोकना है. आप सरकार ने फरवरी 2014 में प्राकृतिक गैस के मुद्दे पर मामले दर्ज किए थे.

गृह मंत्रालय की तरफ से कल देर रात जारी गजट अधिसूचना में कहा गया है कि उपराज्यपाल का अधिकार क्षेत्र सेवाओं, सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और जमीन के मामलों में होगा और वह सेवाओं के मामले में वह अपने ‘‘अधिकार’’ का उपयोग कर ही जरुरत समझने पर मुख्यमंत्री से सलाह कर सकते हैं.

अधिसूचना में कहा गया है कि यह सत्यापित तथ्य है कि जब कोई विधायी शक्ति नहीं है तो कोई कार्यकारी शक्ति नहीं होगी क्योंकि कार्यकारी शक्ति का विधायी शक्ति के तहत सह..अस्तित्व है.

अधिसूचना के मुताबिक, ‘‘सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवाएं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विधानसभा के दायरे में नहीं आतीं और इसलिए दिल्ली सरकार के पास ऐसे मामलों में कोई कार्यकारी शक्ति नहीं है.’’

गजट अधिसूचना में कहा गया है कि उपराज्यपाल सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवाओं के मामले में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे और राष्ट्रपति द्वारा समय. समय पर दी गई शक्तियों के तहत केंद्र सरकार के कार्यों को निष्पादित करेंगे. उपराज्यपाल अपने अधिकारों के तहत जरुरत समझने पर ‘‘सेवाओं’’ के मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री का विचार ले सकेंगे.

अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि यह अधिसूचना 1998 की अधिसूचना का स्थान लेगी जिसमें उपराज्यपाल को सभी मामलों में मुख्यमंत्री से ‘‘विचार..विमर्श’’ करने की अनुमति दी गई थी. वह सिर्फ उन मामलों में सलाह नहीं ले सकते थे जिनमें वह सलाह लेना ‘‘व्यावहारिक’’ नहीं समझते हों.

24 सितम्बर 1998 की अधिसूचना में कहा गया, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 239 के उपबंध (एक) में प्राप्त शक्तियों के मुताबिक राष्ट्रपति निर्देश देते हैं कि उनके नियंत्रण के विषयों और आगे के आदेशों तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के उपराज्यपाल ‘सार्वजनिक व्यवस्था’, ‘पुलिस’ और ‘सेवाओं’ के मामले में शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे और केंद्र सरकार के कार्यों को करेंगे जो उन्हें समय-समय पर राष्ट्रपति देंगे. वह दिल्ली के मुख्यमंत्री की सलाह से इन कार्यों को निष्पादित करेंगे और केवल उन मामलों में सलाह नहीं लेंगे जहां वह लिखित में ऐसा करना व्यावहारिक नहीं समझते हैं.’’

वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गामलिन को पिछले हफ्ते उपराज्यपाल द्वारा कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करने के बाद सत्तारुढ आप और नजीब जंग के बीच टकराव खुलकर सामने आया था. केजरीवाल ने उपराज्यपाल के अधिकार पर सवाल खडे किए थे और उन पर प्रशासन चलाने का प्रयास करने के आरोप लगाए थे.

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