पांच साल में केंद्र से दिल्ली के अधिकार ले लेंगे : केजरीवाल
नयी दिल्ली : उपराज्यपाल से गतिरोध के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में केंद्र से दिल्ली सरकार के अधिकार लेने का संकल्प लिया और कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहें तो 10 दिन के अंदर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है. आप सरकार के 100 […]
नयी दिल्ली : उपराज्यपाल से गतिरोध के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में केंद्र से दिल्ली सरकार के अधिकार लेने का संकल्प लिया और कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहें तो 10 दिन के अंदर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है.
आप सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर खुली कैबिनेट में संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि उपराज्यपाल को अधिकार देने वाली केंद्र की अधिसूचना सरकार के तानाशाहीपूर्ण रवैये को दर्शाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नीत केंद्र सरकार विधानसभा चुनावों में पार्टी को मिली करारी हार के लिए दिल्ली की जनता से बदला ले रही है.
उन्होंने कहा, लडाई जारी रहेगी और मुझे उम्मीद है कि अगले पांच साल में हम केंद्र से उन अधिकारों को वापस ले लेंगे जो उसने दिल्ली से ले लिये हैं. अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में और किसी सरकार ने पहले सौ दिन में इतना काम नहीं किया. सभी मंत्रियों ने भी अपनी उपलब्धियां गिनाईं और जनता के साथ संवाद किया.
केजरीवाल ने कहा, हम केंद्र से लड़ाई नहीं चाहते. हम मिलकर काम करना चाहते हैं. जीत के बाद हम सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी से मिलने गये. हमने उनसे कहा कि आपको संसद में पूर्ण बहुमत मिला है और हमें विधानसभा में मिला है. भगवान ने हमें यह सुनहरा मौका दिया है. अगर प्रधानमंत्री और हम मिल जाएं तो मेरा मानना है कि दिल्ली को 10 दिन में पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा.
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के संदर्भ में उन्होंने कहा, इस तरह की अधिसूचना जारी करना तानाशाही के समान है और जनता इस तरह के फैसलों का बदला लेगी. समारोह में आईएएस अधिकारी शकुंतला गैमलिन भी शामिल हुईं, जिनकी कार्यवाहक मुख्य सचिव के रुप में उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा नियुक्ति से केजरीवाल और उनके बीच टकराव शुरु हो गया था. मुख्य सचिव के के शर्मा भी समारोह में उपस्थित थे.
* अदालत का निर्णय केंद्र के लिए बड़ी शर्मिंदगी : केजरीवाल
दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई के अधिकार क्षेत्र को लेकर आए उच्च न्यायालय के फैसले से उत्साहित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि अदालत का निर्णय केंद्र के लिए बड़ी शर्मिंदगी है और इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सरकार की लड़ाई को ताकत मिली है.
अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का वह आदेश राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के लिए बड़ी जीत है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) के मामलों में दखल देने का केंद्रीय गृह मंत्रालय को कोई अधिकार नहीं है. दिल्ली की आप सरकार ने एक बयान जारी कर उच्च न्यायालय के फैसले को दिल्ली की जनता के लिए निर्णायक जीत करार दिया है.
केजरीवाल ने कहा, मैं आपको उच्च न्यायालय के फैसले की बधाई देना चाहता हूं. 40 साल पहले दिल्ली में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अमल में आया था. 40 साल पहले इसका अधिकार क्षेत्र दिल्ली आधारित सभी एजेंसियों पर था, चाहे वो केंद्र सरकार की हो, डीडीए हो, पुलिस हो, एमसीडी हो. एसीबी इन सभी निकायों के भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर सकती थी.
मुख्यमंत्री ने कहा, पिछले साल 49 दिनों की सरकार के समय हमने इस देश के एक बड़े आदमी मुकेश अंबानी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. हमारी सरकार के जाने के बाद केंद्र ने एक निर्देश जारी करके एसीबी के दायरे को सिर्फ दिल्ली सरकार के अधिकारियों तक सीमित कर दिया. उन्होंने कहा, इसमें कहा गया है कि एसीबी केंद्र सरकार के अधिकारियों, पुलिस और एनडीएमसी के भ्रष्टाचार को नहीं देखेगी. आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि केंद्र और गृह मंत्रालय को एसीबी के मामलों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है.
केजरीवाल ने कहा, इस आदेश से हमें मजबूती मिली है. सभी हमारे पीछे पडे हैं. आपने यह देखा होगा. परंतु जब आप सच के रास्ते पर होते हैं तो इस ब्रह्मांड की सारी अच्छी शक्तियां आपकी मदद करती हैं. जब भगवान आपके साथ है तो इसकी चिंता करने की जरुरत नहीं है कि आपके खिलाफ कौन है. जो कोई खिलाफ होगा वह धीरे-धीरे ध्वस्त हो जाएगा.
इससे पहले केजरीवाल ने ट्विट कर बताया, आज का उच्च न्यायालय का फैसला केंद्र सरकार के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात है. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि 21 मई को जारी की गई गृह मंत्रालय की अधिसूचना संदिग्ध है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि एसीबी के पास पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का अधिकार है और अदालत ने एक हेडकांस्टेबल की याचिका को खारिज कर दिया जिसे एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था.
दिल्ली पुलिस सीधे तौर पर गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है. इसकी अधिसूचना ने एसीबी को दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई से रोक दिया था. उच्च न्यायालय का फैसला वरिष्ठ अधिकारियों के पदस्थापन और स्थानांतरण के साथ ही कुछ अन्य विवादास्पद मुद्दों पर आप की सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग में तीखे संघर्ष के बीच आया है.
आप सरकार ने केंद्र की अधिसूचना पर चर्चा के लिए कल दिल्ली विधानसभा का आपात सत्र बुलाया है. इसने मुद्दे पर कानूनी रास्ता अख्तियार करने के भी संकेत दिए हैं. गृह मंत्रालय की तरफ से 21 मई को जारी अधिसूचना में कहा गया था कि उपराज्यपाल को सेवाओं, सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और जमीन से जुडे मामलों में अधिकार होगा और वह अपने विवेक का इस्तेमाल कर सेवाओं के मुद्दे पर जरुरी समझने पर मुख्यमंत्री से सलाह कर सकते हैं.
वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली का कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त करने पर पिछले हफ्ते सत्तारुढ आप और जंग के बीच जोरदार टकराव शुरु हुआ. केजरीवाल ने उपराज्यपाल के अधिकारों पर सवाल खडे किए थे और उन पर प्रशासन चलाने का प्रयास करने के आरोप लगाए थे.