शिवसेना ने फडणवीस पर किया पलटवार, कहा- ”हमारे नेता मेकअप नहीं करते”

मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अकेले उतरने से भाजपा की असली ताकत का पता चलने संबंधी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयानों पर शिवसेना ने आज पलटवार करते हुए कहा कि उसकी पार्टी के नेता ‘मेकअप नहीं लगाते या मुखौटा नहीं पहनते.’ हालांकि शिवसेना ने बृहनमुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) के चुनाव मिलकर लडने के मामले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 27, 2015 1:06 PM

मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अकेले उतरने से भाजपा की असली ताकत का पता चलने संबंधी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयानों पर शिवसेना ने आज पलटवार करते हुए कहा कि उसकी पार्टी के नेता ‘मेकअप नहीं लगाते या मुखौटा नहीं पहनते.’

हालांकि शिवसेना ने बृहनमुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) के चुनाव मिलकर लडने के मामले पर फडणवीस के रुख की सराहना की लेकिन उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि वह यह बताएं कि विधानसभा चुनावों के पहले शिवसेना और भाजपा का गठबंधन क्यों टूटा.

भाजपा के सहयोगी दल ने अपनी पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा,’ विधानसभा चुनाव अकेले लडने से भाजपा की असली ताकत का पता चला. हम उनकी इस खुशी पर कुठाराघात नहीं करना चाहते लेकिन कांग्रेस और राकांपा की हार सुनिश्चित करने के लिए हमने भी कडी मेहनत की थी.’

शिवसेना ने कहा,’ लेकिन कुछ स्थानों पर लोग उपरी मेकअप के झांसे में आ गए. हम अपने चेहरों पर मेकअप नहीं लगाते या मुखौटा नहीं पहनते.’ फडणवीस ने गत शनिवार को कहा था कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने के उनके निर्णय के कारण भाजपा की असली ताकत सामने आई. शिवसेना ने कहा कि फडणवीस को राज्य में विदेशी निवेश आमंत्रित करने के बजाय, पहले यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए कि पडोसी राज्य महाराष्ट्र से व्यापार के अवसर न ले जाएं.

संपादकीय में कहा गया है, ,’ एयर इंडिया, पेटेंट कार्यालय, पोर्ट ट्रस्ट, रेल विभाग.. सभी के मुख्यालय कहीं और स्थानांतरित किए जा रहे हैं और मुख्यमंत्री इस पर कोई कडा रख नहीं अपना रहे. यदि फडणवीस इस मामले को केंद्र के समक्ष नहीं उठाते हैं तो राज्य के पास जो कुछ भी है, उसे अन्य प्रदेश ले जाएंगे.’

शिवसेना ने इस बात का भरोसा जताया कि वह राज्य की राजनीति में एक बडी ताकत बनी रहेगी और पार्टी के कुछ विधायकों की जीत या हार से क्षेत्रीय राजनीति पर कोई बडा प्रभाव नहीं पडेगा. चुनावों के बाद दोनों दल साथ आए हैं लेकिन शिवसेना द्वारा अक्सर भाजपा के खिलाफ नाराजगी का इजहार करते रहने से उनके संबंध तनावपूर्ण हैं.

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