तेज विकास के लिए अभी और प्रयासों की जरुरत : राष्ट्रपति
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज देश में तेज गति से विकास के लिए मजबूत उपाय किए जाने की जरुरत बताई और विश्वास व्यक्त किया कि भारत अर्थव्यवस्था में आई मौजूदा मंदी को तेज रफ्तार वृद्धि में बदल देगा. उन्होंने कहा, मेरा विश्वास है कि अन्तर्निहित विकास की गति प्रति व्यक्ति आय में […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज देश में तेज गति से विकास के लिए मजबूत उपाय किए जाने की जरुरत बताई और विश्वास व्यक्त किया कि भारत अर्थव्यवस्था में आई मौजूदा मंदी को तेज रफ्तार वृद्धि में बदल देगा.
उन्होंने कहा, मेरा विश्वास है कि अन्तर्निहित विकास की गति प्रति व्यक्ति आय में लगातार बढ़ोतरी, मध्यवर्ग के उपभोक्ताओं के विस्तार और एक युवा और उर्जावान कार्यबल के कारण मजबूत बनी हुई है. सभी पक्षों के मजबूत प्रयासों से इस रफ्तार को बनाए रखा जा सकेगा और हम वृद्धि की तेज रफ्तार हासिल करने में सक्षम होंगे.
पहले इंजीनियर्स कान्कलेव 2013 का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने कहा कि यह ऐसे समय पर हो रहा है जब विश्व वैश्विक आर्थिक मंदी से निकल रहा है.उन्होंने कहा, हालांकि भारत की आर्थिक वृद्धि में हाल के समय में गिरावट आई है, मुझे विश्वास है कि हम इस दौर से निकलेंगे और तेज रफ्तार के स्तर पर पहुंचेंगे जो हमने पहले हासिल किया था.
राष्ट्रपति ने कहा कि क्रय शक्ति क्षमता के लिहाज से देखें तो भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में तीसरे स्थान पर है और पिछले कुछ वर्ष में वृद्धि दर के लिहाज से यह केवल चीन से पीछे है. उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से अधिक लचीली है.
मुखर्जी ने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स की नवाचार क्षमताएं भारत को 21वीं शताब्दी में एक अग्रणी राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी. उन्होंने कहा, इंजीनियरिंग के हर प्रयास में लोगों का हित सर्वोपरि होना चाहिए और उसका उद्देश्य आम लोगों, उपभोक्ताओं और विक्रेताओं को लाभ पहुंचाना होना चाहिए.
मुखर्जी ने कहा कि भारतीय इंजीनियर्स की उपलब्धियों का लाभ सबसे निचले स्तर तक नहीं पहुंच पा रहा है और आम आदमी के जीवन पर उनके प्रभाव की क्षमता का पूरा दोहन नहीं हो पाया है.उन्होंने कहा, पिछले लगभग तीन दशक में जिस एक अविष्कार ने बहुत कुछ बदल दिया, वह है बैलगाड़ी में लकड़ी के पहिए की बजाए रबर के टायर का इस्तेमाल .. हमारे देश को ऐसे सैकड़ों अविष्कारों की जरुरत है, जो सरल हों और ग्रामीण परिप्रेक्ष्य में उपयोगी हों.