नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा है कि जम्मू कश्मीर या किसी अन्य राज्य में आतंरिक सुरक्षा के लिए यदि सेना को तैनात रखना है तो सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफ्सपा) अनिवार्य है. पर्रिकर ने कहा, ‘‘(अफ्सपा) के बारे में फैसला करने का काम मेरे मंत्रालय का नहीं है. यह बहुत सामान्य बात है कि यदि अधिनियम किसी खास इलाके में लागू है तो सेना वहां सक्रिय रहेगी. यदि यह वहां नहीं है तो सेना वहां गतिविधि जारी नहीं रख सकती.’’
जम्मू कश्मीर में विवादास्पद अफ्सपा को हटाए जाने की राज्य सरकार की मांग पर उनके मंत्रालय के रुख के बारे में पूछे गए एक सवाल का वह जवाब दे रहे थे. हालांकि, रक्षा मंत्री ने कहा कि अफ्सपा हटाने का फैसला गृह मंत्रालय को लेना होगा. पर्रिकर ने कहा, ‘‘सेना का काम आंतरिक सुरक्षा नहीं है. मुङो स्पष्ट कर देने दीजिए. आतंरिक सुरक्षा कायम रखना मेरा काम नहीं है लेकिन यदि मुझे आंतरिक सुरक्षा का काम सौंपा गया है तो तब उपयुक्त शक्तियां होंगी. वो शक्तियां अफ्सपा के जरिए मेरे पास आती हैं. ’’
त्रिपुरा सरकार ने कल राज्य में अफ्सपा हटाने का फैसला किया था। यह विवादास्पद कानून राज्य में उग्रवाद पर रोक लगाने के लिए पिछले 18 साल से लागू था. यहां नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने अधिनियम को रद्द करने या अफ्सपा की धारा चार और सात में संभावित संशोधन करने की मांग की है. इन धाराओं के तहत सुरक्षा बलों को आतंकवाद रोधी अभियानों के दौरान असीम शक्तियां और कानूनी संरक्षण प्राप्त है. धारा चार सुरक्षा कर्मियों को परिसरों में तलाशी लेने और बगैर वारंट के गिरफ्तारियां करने, बल प्रयोग करने, यहां तक कि मौत का कारण बनने, हथियारों का भंडार, ठिकानों को नष्ट करने और वाहन को जब्त करने की व्यापक शक्तियां देता है.
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने सेना की जगह अर्धसैनिक बलों तैनात करने की जम्मू कश्मीर सरकार की मांग पर अपने विकल्प खुले रखें हैं, पर्रिकर ने कहा, ‘‘किसी अन्य के दायरे में या गृह मंत्रलय के निर्णय लेने की प्रक्रिया में आने वाली किसी भी चीज पर मैं टिप्पणी नहीं करना चाहता. उन्हें हालात का विश्लेषण करना होगा और फैसला लेना होगा.’’ उन्होंने कहा कि गृहमंत्रलय को इस बात पर फैसला करना होगा कि आतंरिक सुरक्षा के लिए सेना को कहां तैनात करना है.
उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय को फैसला करना है और हमे बताना है कि हम काम करें या नहीं। यदि उन्हें लगता है कि हमारी जरुरत नहीं है तो वे वह कर सकते हैं जो क्या वे करना चाहते हों. लेकिन यदि अधिनियम वहां नहीं रहता है तो मैं ऑपरेट करने में सक्षम नहीं रहूंगा.’’ सेना जम्मू कश्मीर में अफ्सपा को कमतर करने के किसी भी कदम के खिलाफ अपना रुख कायम रखेगा. सेना को लगता है कि यदि अफ्सपा को आंशिक रुप से वापस ले लिया जाता है या कमतर किया जाता है तो कट्टरपंथ और यहां तक कि हिंसा का स्तर बढने की आशंका रहेगी.
नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के बारे में बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि इसमें वृद्धि हुई है क्योंकि इस साल सर्दियां देर तक रही हैं और बर्फ कुछ समय पहले ही पिघली है. हालांकि उन्होंने कहा कि दूसरी ओर से घुसपैठियों को आगे बढाने की हमेशा ही कोशिश रही है.