स्टूडेंट ग्रुप बैन मामला : एएनयूएसआइ कार्यकर्ताओं ने स्मृति ईरानी के घर के बाहर किया प्रदर्शन
चेन्नई/ दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नीतियों की आलोचना करना एक छात्र समूह को महंगा पड़ गया. आइआइटी मद्रास ने अपने यहां के एक स्टूडेंट ग्रुप को बैन कर दिया है. ग्रुप पर आरोप है कि वह दलित और एसटी-एससी विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सराकर की नीतियों के खिलाफ गलत […]
चेन्नई/ दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नीतियों की आलोचना करना एक छात्र समूह को महंगा पड़ गया. आइआइटी मद्रास ने अपने यहां के एक स्टूडेंट ग्रुप को बैन कर दिया है. ग्रुप पर आरोप है कि वह दलित और एसटी-एससी विद्यार्थियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सराकर की नीतियों के खिलाफ गलत प्रचार कर भड़का रहा है. आरोप यह भी है कि यह ग्रुप विद्यार्थियों को बरगलाने का प्रयास भी कर रहा था.
इस ग्रुप के बैन करने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है. दिल्ली में एएनयूएसआइ के कार्यकर्ताओं ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के घर के बाहर प्रदर्शन किया.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार आंबेडकर पेरियार स्टूडेंट सर्किल ग्रुप नामक ग्रुप को अज्ञात शिकायत के बाद आइआइटी मद्रास ने बैन कर दिया है. इस ग्रुप पर हिंदी के इस्तेमाल और बीफ बैन से जुड़े विवादों पर चर्चा कर एससी-एसटी के छात्रों को भड़काने का आरोप लगाया गया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजी गई शिकायत में इस ग्रुप का एक पैंफलेट भी लगाया गया था जिसमें मोदी सरकार को उद्योपतियों की सरकार बताया था और केंद्र सरकार के कई बिलों की आलोचना की गई थी. इसमें ‘घर वापसी’ कार्यक्रम और गोमांस पर प्रतिबंध जैसे मसलों का भी जिक्र था.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक लिखित शिकायत मिली थी, जिसके एचआरडी मंत्रालय ने छात्रों के एक समूह के खिलाफ पीएम के भाषण की आलोचना की पूछताछ करवाई थी. एचआरडी मंत्रालय की जांच के बाद आइआइटी मद्रास ने आंबेडकर पेरियार स्टूडेंट सर्किल से जुड़े छात्रों को प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों और उनके भाषणों की आलोचना करने से रोक दिया है.
बैन किये गये ग्रुप के सदस्यों का कहना है उनको सफाई देने का अवसर नहीं दिया गया. उनका ग्रुप किसी भी प्रकार की विवादित गतिविधि में भाग नहीं लेना चाहिए. डीन का कहना है कि ग्रुप विवादास्पद गतिविधियों में शामिल है. हमारे पास ग्रुप के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य है.