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नरेंद्र मोदी सबकी सुनते हैं, पर फैसला वे खुद ही करते हैं : अरुण जेटली

नयी दिल्ली : मीडिया में ऐसी खबरे आती हैंया अटकलें लगायी जाती हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे प्रभावी मंत्रीअरुण जेटली हीहैं.यहां तक बातें होती हैं किमोदीसरकार केअहमफैसलों पर जेटली की छाप होती है. कहा जाता है कि मोदी सबसे ज्यादा जेटली की ही सुनते हैं.इन चर्चाओं के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने […]

नयी दिल्ली : मीडिया में ऐसी खबरे आती हैंया अटकलें लगायी जाती हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे प्रभावी मंत्रीअरुण जेटली हीहैं.यहां तक बातें होती हैं किमोदीसरकार केअहमफैसलों पर जेटली की छाप होती है. कहा जाता है कि मोदी सबसे ज्यादा जेटली की ही सुनते हैं.इन चर्चाओं के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि नरेन्द्र मोदी स्वयं सारी बातों को समझकर एवं अनुभव लेकर काम करने वाले प्रधानमंत्री हैं. वह सबकी सुनते हैं लेकिन अंतिम फैसला वही करते हैं. जेटली ने कहा कि उनकी स्थिति दस साल के संप्रग शासन के ठीक विपरीत है जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास ‘कोई वास्तविक शक्ति’ नहीं थी.

उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में प्रधानमंत्री ही अंतिम फैसला करता है. मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि नरेन्द्र मोदी एक मजबूत नेता है लेकिन वह स्वयं सारी बातों को समझकर एवं अनुभव लेकर काम करने वाले प्रधानमंत्री हैं जो सबकी बात सुनते हैं.’ वित्त मंत्री ने रजत शर्मा की आप की अदालत कार्यक्रम में कहा, ‘जैसा कि लोकतंत्र में उम्मीद की जाती है उनके शब्द अंतिम होते हैं. और इसमें कुछ गलत भी नहीं है. वाजपेयी सरकार में भी सबसे विचार विमर्श किया जाता था लेकिन प्रधानमंत्री के शब्द ही अंतिम होते थे.’

चैनल द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार जेटली से यह सवाल किया गया कि द इकानामिस्ट पत्रिका ने मोदी को एक योद्धा वाली सेना करार दिया. इस पर जेटली ने कहा कि उनकी तुलना मनमोहन सिंह से नहीं की जा सकती क्योंकि इसी पत्रिका ने उनके बारे में कहा था, ‘उन्हें ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में चित्रित किया जाता है जो पद पर तो है लेकिन जिसके पास शक्तियां नहीं हैं.’

उन्होंने कहा, ‘दस साल तक हमारे पास एक ऐसा प्रधानमंत्री था जिसके पास कोई वास्तविक सत्ता नहीं थी. मैं मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत कुशलता के कारण उनका कायल हूं लेकिन कांग्रेस ने कभी उन्हें खुलकर काम नहीं करने दिया. यदि कांग्रेस ने उनकी कुशलता के अनुसार उन्हें काम करने दिया होता तो भारत का इतिहास आज भिन्न होता.’ वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का महत्व इसी बात में है कि उनके पास वास्तविक रूप से शक्ति हो.

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र को ऐसी व्यवस्था के रूप में नहीं चलाया जा सकता जहां प्रधानमंत्री के पास पद तो हो लेकिन उसके पास वास्तविक शक्तियों का अभाव हो. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बहुत कठिन परिश्रम करने वाले नेता हैं जो यह भी स्वीकार करते हैं कि उनके सहयोगियों को भी उतना ही कठिन परिश्रमी होना चाहिए.’ राहुल गांधी के मोदी सरकार पर ‘सूट-बूट की सरकार’ के आक्षेप पर जेटली ने कहा कि वास्तव में यह ‘सूझबूझ की सरकार’ है.

उन्होंने कहा, ‘इस तरह की दलीलें तब देते हैं जब आपके पास कहने के लिए कोई तत्व वाली बात नहीं होती. पिछले एक वर्ष में यह साबित हो गई है यह एक सूझबूझ की सरकार है.’ राजग सरकार द्वारा किसानों की जमीन छीनने और उसे बडे कार्पोरेट समूहों को सौपने के राहुल गांधी के आरोपों के बारे में पूछने पर जेटली ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने या तो अपनी ही पार्टी का 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून अथवा नया विधेयक नहीं पढा है.

उन्होंने कहा कि भारत की 35 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है जबकि शेष ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. शहरीकरण, राजमार्ग, सिंचाई, परियोजना एवं ग्रामीण आधारतभूत ढांचे के लिए जमीन की जरुरत है. जेटली ने कहा, ‘उनके (संप्रग) कानून ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास रोक दिया था. यहां तक कि हरियाणा के भूपेन्द्र सिंह हुड्डा (पूर्व मुख्यमंत्री) एवं महाराष्ट्र के पृथ्वीराज चव्हाण (पूर्व मुख्यमंत्री) सहित उनके अपने मुख्यमंत्री ने कानून का यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे देश का विकास थम जायेगा.’

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