नयी दिल्ली : भारत कारगिल के शहीद कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तान द्वारा दी गयी बर्बर यातना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) का रुख कर सकता है. मामले की असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने इस मामले में अपना रुख बदलने का फैसला किया.
सरकार सुप्रीम कोर्ट से उसके रुख की वैधता को घोषित करने का अनुरोध करेगी कि भारत पाकिस्तान के साथ सशस्त्र संघर्ष, शत्रुता आदि से जुड़े विवादों के बारे में आइसीजे के अनिवार्य क्षेत्रधिकार का सहारा नहीं ले सकता, क्योंकि वे राष्ट्रमंडल देश हैं. हालांकि, मामले की असाधारण परिस्थितियों पर गौर करते हुए, यह पूछेगी कि क्या यह आइसीजे जा सकती है. विदेश मंत्रालय में आधिकारिक प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि कारगिल शहीद कैप्टन कालिया के परिवार द्वारा दायर किये गये मुकदमे के मामले में सरकार ने राष्ट्रमंडल के प्रावधानों के तहत पारंपरिक रुख रखा है.
यह रुख, जिसे सरकार ने 26 सितंबर 2013 को हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट किया था, की अब समीक्षा की गयी है. प्रवक्ता ने कहा, ऐसा होने पर सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र होगी.
ऐसे किये गये प्रताड़ित
कैप्टन कालिया और पांच अन्य सैनिकों को 15 मई 1999 को कारगिल के कासकर इलाके में गश्त डय़ूटी के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़ लिया था. उन्हें बंधक रखा गया जहां उन्हें प्रताड़ित किया गया और उनके क्षत विक्षत शवों से देश में रोष की लहर दौड़ गयी. उनके शव 15 दिन बाद भारत को सौंपे गये. कैप्टन कालिया के कान के परदे को गर्म सलाखों से छेद डाला गया था, उनकी आंखें फोड़ दी गयी थी और उनके शरीर के अंगों को तथा लिंग को काट डाला गया था. उनके अधिकतर दांत और हड्डियां तोड़ डाली गयी थी. शहीद सैनिक के पिता एनके कालिया ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट का रुख कर इस मामले में एक अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की थी. जिसका जवाब मोदी सरकार को 25 अगस्त को देना है. कैप्टन कालिया के साथ पांच जवान अर्जुन राम, भंवर लाल बागड़िया, भिक्खा राम, मूला राम व नरेश सिंह कारगिल में लापता हो गये थे. तब पाक ने दावा किया था कि कैप्टन का शव गड्ढे में मिला था. उसकी मौत खराब मौसम से हुई थी.
पाकिस्तानी फौजी का कबूलनामा
एक साल पहले पाकिस्तानी फौजी गुलेखानदान का वीडियो यू-ट्यूब पर आया, जिसमें वह बड़े फक्र्र से कह रहा था कि कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के एक अधिकारी को यातना देने कर हत्या कर दी गयी थी.
पिछले निर्णय की समीक्षा
जिस तरह कैप्टन कालिया को प्रताड़ित किया गया, वह असाधारण था, इसलिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा बदलेगी और सवाल करेगी कि क्या कानूनी प्रावधानों के तहत वह आइसीजे का रुख कर सकती है. यदि शीर्ष कोर्ट सहमति देता है, तो फिर हम मुद्दे को आइसीजे ले जायेंगे.
सुषमा स्वराज, विदेश मंत्री
मामला : एक नजर में
15 मई,1999 को चार जाट रेजीमेंट के कैप्टन सौरभ कालिया व पांच अन्य जवान कारगिल के काकसर सब- सेक्टर में लापता हो गये
पाकिस्तानी सेना ने इन्हें 22 दिन तक बंदी बना कर अमानवीय यातनाएं दीं
पाकिस्तान ने नौ जून को उनके क्षतविक्षत शव भारत को लौटाये
15 दिन बाद कैप्टन सौरभ का शव उनके परिवार को सौंपा गया
कैप्टन कालिया के शव की स्थिति देख देश में आक्रोश फैला, युद्धबंदियों को लेकर जिनेवा संधि का उल्लंघन
कैप्टन कालिया के परिजनों ने भारत सरकार से अपील की कि मामले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाये, यूपीए सरकार किया इनकार
एनडीए सरकार ने भी यूपीए सरकार की ही राह पकड़ी. कहा, मामले को अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में ले जाना व्यावहारिक नहीं