उपराज्यपाल ने कहा, बिहार के पुलिसकर्मियों के मामले में दिल्ली सरकार को मंजूरी लेने की जरूरत

नई दिल्ली : बिहार के पांच पुलिस अधिकारियों को भ्रष्टाचार रोधी शाखा में शामिल करने के आम आदमी पार्टी सरकार के फैसले से एक नया विवाद पैदा हो गया है. उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा है कि इस तरह के कदम के लिए पहले उनसे मंजूरी लेना जरूरी होगा. आप सरकार की ओर से अनुरोध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 2, 2015 1:39 PM

नई दिल्ली : बिहार के पांच पुलिस अधिकारियों को भ्रष्टाचार रोधी शाखा में शामिल करने के आम आदमी पार्टी सरकार के फैसले से एक नया विवाद पैदा हो गया है. उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा है कि इस तरह के कदम के लिए पहले उनसे मंजूरी लेना जरूरी होगा.

आप सरकार की ओर से अनुरोध किए जाने के बाद बिहार पुलिस के तीन निरीक्षक और दो उप निरीक्षक दिल्ली सरकार के एसीबी में शामिल हो गए हैं. ये नियुक्तियां ऐसे समय पर हुई हैं जब केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच पहले ही अधिकारक्षेत्र को लेकर तीखी जंग जारी है.

इस कदम पर कडी प्रतिक्रिया जताते हुए उपराज्यपाल के कार्यालय ने एक बयान में कहा, ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) दिल्ली उपराज्यपाल के नियंत्रण और देखरेख में काम करता है. इस स्थिति को गृह मंत्रालय द्वारा भी स्पष्ट कर दिया गया है.’ बयान में यह भी कहा गया कि उपराज्यपाल को अभी तक दिल्ली पुलिस के बाहर से बिहार पुलिसकर्मियों की नियुक्ति से जुडा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है.

उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा, ‘ उपराज्यपाल कार्यालय को अभी तक दिल्ली पुलिस से बाहर के ऐसे जवानों की प्रतिनियुक्ति का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. जैसे ही उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग से औपचारिक प्रस्ताव मिलता है, उसका पूरा अध्ययन किया जाएगा.’ दिल्ली सरकार ने हाल ही में बिहार पुलिस अधिकारियों के लिए अनुरोध भेजा था. इसके बाद बिहार पुलिस के पांच अधिकारियों को भेज दिया गया था.

‘आप’ सरकार और उपराज्यपाल के बीच शक्तियों को लेकर लडाई चल रही है. केंद्र ने 21 मई को एक अधिसूचना जारी कर उपराज्यपाल का पक्ष लिया था. विधानसभा के एक सत्र में हाल ही में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि उपराज्यपाल नजीब जंग को ज्यादा शक्तियां देने वाली अधिसूचना दरअसल देश को ‘तानाशाही’ की ओर ले जाने के एक ‘प्रयोग’ का हिस्सा है.

अधिसूचना में केंद्र ने उपराज्यपाल को नौकरशाहों की नियुक्ति के मामले में संपूर्ण शक्तियां दे दी थीं. इसके साथ ही केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें पुलिस और लोक व्यवस्था के मुद्दों पर मुख्यमंत्री के साथ ‘विचार विमर्श’ करने की जरुरत नहीं है.

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