अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर तीन दिन के दौरे पर भारत पहुंचे
विशाखापत्तनम : अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर तीन दिन की अपनी यात्रा पर आज भारत पहुंच गये हैं. उनकी इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका 10 साल के रक्षा रुपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध के विकास का रास्ता खुलेगा. जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत […]
विशाखापत्तनम : अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर तीन दिन की अपनी यात्रा पर आज भारत पहुंच गये हैं. उनकी इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका 10 साल के रक्षा रुपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे, जिससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध के विकास का रास्ता खुलेगा. जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान समझौते को लेकर फैसला किया गया था. समझौता समुद्री सुरक्षा, विमानवाहक पोत, जेट इंजन प्रौद्योगिकी सहयोग और संयुक्त प्रशिक्षण जैसे कई मुद्दों पर केंद्रित होगा.
कार्टर यहां आइएसएन डेगा पर पहुंचे और शीर्ष अधिकारियों ने उन्हें पूर्वी नौसेना कमान की गतिविधियों की जानकारी दी जो हिन्द महासागर में सुरक्षा का काम देखता है. कार्टर अमेरिकी रक्षा मंत्री के तौर पर पहली बार भारत आये हैं. वह इससे पहले सितंबर 2013 और जुलाई 2012 में उप रक्षा मंत्री के तौर पर भारत आये थे. रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार उप रक्षा मंत्री के तौर पर कार्टर भारत-अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआइ) के मुख्य शिल्पकार थे.
उन्होंने अन्य बातों के अलावा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सह विकास, सह निर्माण एवं संयुक्त उपक्रमों की सीमा और स्तर के लिहाज से भारत को अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगियों के बराबर देखने की वकालत की थी. कार्टर आज शाम नयी दिल्ली पहुंचेंगे. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ बैठक करने के अलावा वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री से भी मिलेंगे. कार्टर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिलेंगे.
उन्होंने पिछले हफ्ते कहा था कि अमेरिका भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में मदद के लिए नये तरीके तलाश रहा है और साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के अर्थपूर्ण क्षेत्र ढूंढ रहा है. कार्टर ने सिंगापुर में शांगरी-ला वार्ता पूर्ण सत्र में प्रतिनिधियों से कहा था, ‘अगले हफ्ते मैं जिस 2015 अमेरिका-भारत रक्षा रुपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर करुंगा उससे यह संबंध समुद्री सुरक्षा से लेकर विमान वाहक पोत और जेट इंजन प्रौद्योगिकी सहयोग जैसे तमाम क्षेत्रों में सहयोग का रास्ता खोलेंगे.’