मैगी नूडल्स पर आज केंद्र व कई राज्य रोक लगाने पर ले सकते हैं फैसला, स्वास्थ्य मंत्रालय करेगा बैठक

नयी दिल्ली :खाद्य पदार्थों की बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही है. अब तक जहां केरल, उत्तराखंड व दिल्ली सरकार इस बैन लगा चुकी है. जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा सहित कई राज्य इस मुद्दे पर बैन के संबंध में फैसला लेने वाले हैं. इस मुद्दे पर आज केंद्रीय स्वास्थ्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 3, 2015 8:51 PM

नयी दिल्ली :खाद्य पदार्थों की बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही है. अब तक जहां केरल, उत्तराखंड व दिल्ली सरकार इस बैन लगा चुकी है. जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा सहित कई राज्य इस मुद्दे पर बैन के संबंध में फैसला लेने वाले हैं. इस मुद्दे पर आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा राज्यों से मंगायी गयी रिपोर्ट के आधार पर बैठक करेंगे. वहीं, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निबटान आयोग यानी एनसीडीआरसी से की है. खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि पैकेज में दर्ज कंपोनेंट के अलावा कोई और सामग्री मैगी नूडल्स में मिलने पर कार्रवाई की जायेगी.

मैगी मामले में नेस्ले की समस्या बढती जा रही है. सरकार ने मामले को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) को भेजा है. करीब तीन दशक पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून के प्रावधान का पहली बार उपयोग करते हुए यह कदम उठाया गया है. मैगी नूडल्स में खाद्य सुरक्षा मानकों से संबंधित कथित चूक को एक गंभीर मुद्दा करार देते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने यह भी कहा कि एनसीडीआरसी मामले की जांच करेगा और उपयुक्त कार्रवाई करेगा.

उन्होंने कहा, हम इस समय कुछ नहीं कह सकते कि एनसीडीआरसी क्या कदम उठाएगा. पासवान ने यह भी कहा कि फास्ट फूड के बढते उपभोग से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा, मुंबई जैसे शहरों में 25 प्रतिशत लोग घरों में नहीं खाते हैं. फास्ट फूड के बढते उपयोग से स्वास्थ्य को भी खतरा है. सबसे ज्यादा मैगी बच्चे खाते हैं.

सामान्य रूप से एक उपभोक्ता की शिकायत पर एनसीडीआरसी कदम उठाता है लेकिन 1986 के कानून की धारा के तहत सरकार भी शिकायत दर्ज करा सकती है. मंत्री ने कहा, पहली बार हम उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत धारा 12-1-डी के तहत कदम उठा रहे हैं. इसके तहत केंद्र तथा राज्यों दोनों के पास शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है.

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