नयी दिल्ली: बिहार में अहम चुनाव से पहले जदयू और राजद के बीच गठजोड़ के भविष्य के बारे में जारी अटकलों के बीच जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने बुधवार को जोर दिया कि दोनों दल राज्य में विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ेंगे और भाजपा को चुनौती देंगे.
शरद ने सहरसा से फोन पर भाषा से कहा कि एकजुटता होना तय है क्योंकि यह वक्त की जरुरत है. यह राष्ट्र की जरुरत है. हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस, राजद, जदयू, राकांपा और अन्य मिलकर चुनाव लड़ेंगे. जदयू अध्यक्ष की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक दिन पहले ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद के दूत भोला यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बैठक हुई है. नीतीश कुमार पार्टी विधायकों और सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं और इस विषय पर जारी गतिरोध के बारे में उनकी राय ले रहे हैं. गौर हो कि लालू प्रसाद ने कल पटना में कहा था कि वास्तविकता उससे उलट है जैसा निहित स्वार्थी तत्व पेश कर रहे हैं और वह साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ने को प्रतिबद्ध हैं.
मीडिया में ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा नहीं चाहती है कि लालू प्रसाद, नीतीश के साथ गठबंधन करें. ऐसी भी अटकलें हैं कि अगर गठबंधन नहीं होता है तब जदयू और राजद ने अलग अलग चुनाव लड़ने के लिए प्लान बी तैयार किया है. इन अटकलों को खारिज करते हुए जदयू अध्यक्ष ने कहा, जनता परिवार के दलों की एकजुटता की घोषणा पहले ही की जा चुकी है और अब घोषणा पर अमल होगा. इस पर अमल होगा क्योंकि देश को इसकी जरुरत है. उन्होंने कहा कि मैं एकजुटता के प्रति आश्वस्त हूं. शरद ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या वह केवल जदयू और राजद के साथ चुनाव लड़ने का जिक्र कर रहे थे या पूर्ववर्ती जनता परिवार के छह दलों के महागठबंधन का. यह पूछे जाने पर कि किस तरीख तक राजद और जदयू के बीच गठबंधन को अंतिम रुप दिया जा सकता है, उन्होंने कहा, मैं कोई तारीख नहीं दे सकता लेकिन एकता होगी.
शरद ने यह बताने से इंकार किया कि उनके और राजद प्रमुख के बीच क्या बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि वह मीडिया से यह बात साझा नहीं कर सकते. जदयू प्रमुख ने कहा, मैं हर किसी के संपर्क में हूं और ये बातें मीडिया को नहीं बतायी जा सकती हैं. शरद ने गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नीतीश को पेश करने के विषय पर दोनों दलों में वाकयुद्ध होने पर भी कोई टिप्पणी करने से इंकार किया. उन्होंने जोर दिया, मैं हर बयान पर बयान नहीं दूंगा लेकिन गठबंधन होगा.
उल्लेखनीय है कि राजद उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के खिलाफ विचार व्यक्त किये थे. हालांकि प्रदेश के मंत्री श्याम रजक ने इसका प्रतिवाद किया था. रधुवंश ने कहा कि नेतृत्व एवं अन्य मुद्दों को तभी सुलझाया जा सकता है जब दोनों दलों के प्रमुख नेता इस बारे में बात करेंगे. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपील की थी कि वह बिहार में भाजपा के खिलाफ गठबंधन को आकार देने और इससे जुडे मुद्दों का समाधान निकालें.
बहरहाल, लालू और नीतीश के बीच गठजोड़ के प्रति उत्सुक कांग्रेस इस बात के पर्याप्त संकेत दे चुकी है कि राजद और जदयू के बीच गठजोड़ नहीं होने की स्थिति में उसकी पसंद नीतीश होंगे. इस बीच, राजद और जदयू के बीच बढते तनाव के बीच नीतीश अपनी पार्टी के नेताओं के साथ चर्चा कर रहे हैं और यह कवायद 17 जून तक चलेगी. ऐसी अटकलें भी हैं कि जदयू की ओर से राजद के बिना भी विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना तलाशने के प्रयास किये जा रहे हैं. संप्रग एक सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे रघुवंश प्रसाद सिंह की ओर से नीतीश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर अपनी असहजता प्रकट की जा चुकी है. वहीं, बिहार प्रदेश जदयू अध्यक्ष वरिष्ठ नारायण सिंह स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी को नीतीश कुमार के अलावा और कोई नाम स्वीकार्य नहीं होगा.