मुंबई में टोल टैक्स नहीं देने की अधिसूचना पर रोक से बंबई हाइकोर्ट ने किया इंकार, आम जनता को मिली राहत

मुंबई : महाराष्ट्र में सरकार ने हाल ही में मुंबई की आम जनता को राहत देते हुए सायन-पनवेल टोल प्लाजा पर ऑटोरिक्शा, कार, जीप, टैक्सी और तीन पहिया जैसे हल्के वाहनों पर टोल टैक्स नहीं लगाने का निर्णय किया था. इसके विरोध में एक कंपनी ने बंबई हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार की तरफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 4, 2015 8:05 PM
मुंबई : महाराष्ट्र में सरकार ने हाल ही में मुंबई की आम जनता को राहत देते हुए सायन-पनवेल टोल प्लाजा पर ऑटोरिक्शा, कार, जीप, टैक्सी और तीन पहिया जैसे हल्के वाहनों पर टोल टैक्स नहीं लगाने का निर्णय किया था. इसके विरोध में एक कंपनी ने बंबई हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार की तरफ से इन गाड़ियों से टोल टैक्स नहीं वसूलने की अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध किया था. मामले की सुनवाई करते हुए आज बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार की उस अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है, जिसमें ऐसे वाहनों को सायन-पनवेल टोल प्लाजा पर भुगतान से छूट प्रदान की गयी थी.
न्यायमूर्ति आर. के. देशपांडे और न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी की पीठ ने सायन पनवेल टोलवे प्राईवेट लिमिटेड की याचिका पर यह आदेश दिया. यह कंपनी निर्माण-संचालन-हस्तांतरण के आधार पर टोल केंद्रों का संचालन करती है. कंपनी ने सरकार की 26 मई 2015 की अधिसूचना को चुनौती थी जिसमें इस जगह पर वाहनों को टोल का भुगतान करने से छूट दी गई थी. इससे पहले तीन जनवरी 2015 की अधिसूचना के माध्यम से राज्य सरकार ने कंपनी को प्रति वाहन 30 रुपये की दर से हल्के वाहनों से टोल लेने को अधिकृत किया था.
उच्च न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, याचिकाकर्ताओं के वकीलों को सुनने और रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों को देखने के बाद हमने पाया कि जनहित में अधिसूचना जारी की गई है और इसके अलावा यह पूरी तरह अनुबंध का मामला है. न्यायाधीशों ने कहा, सरकार के पास बंबई मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत इस तरह की छूट देने का अधिकार है और इसलिए हम इसमें कोई भी अधिकार क्षेत्र की कमी नहीं पाते हैं. अगर किसी तरह के अनुबंध का उल्लंघन है तो प्रथमदृष्ट्या हमारा मानना है कि इस मामले में क्षतिपूर्ति का दावा किया जा सकता है. हम अंतरिम राहत देने का कोई कारण नहीं है और इसलिए इस आग्रह को खारिज किया जाता है. पीठ ने याचिका को स्वीकार करने और आगे के फैसले के लिए मामले को गर्मी की छुट्टियों के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.

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