इंफाल : सुरक्षाबलों ने सेना के काफिले पर घात लगाकर हमला करने में शामिल उग्रवादियों की धरपकड के लिए मणिपुर के चंदेल जिले में तलाशी अभियान आज तेज कर दिया। कल इस हमले में एक संदिग्ध उग्रवादी समेत 18 लोग मारे गए जबकि 11 अन्य घायल हुए. चंदेल के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कल हमले की रिपोर्ट के बाद जो पुलिसकर्मी घने जंगल में स्थित घटनास्थल पर गए थे, वे मारे गए लोगों के शव लेकर लौटे.
अधिकारी ने बताया कि 17 शव तो छठी डोगरा रेजीमेंट के कर्मियों के हैं और एक शव उग्रवादी का है जो घात लगाकर किए गए इस हमले में शामिल था. लेकिन अभी यह नहीं पता चला है कि वह किस उग्रवादी संगठन से जुडा था. पुलिस ने बताया कि तलाशी अभियान सेना और असम राइफल्स द्वारा चलाया जा रहा है लेकिन अब तक कोई भी पकडा नहीं गया है. जिस स्थान पर यह हमला हुआ था, वह जंगल में काफी अंदर है. उग्रवादी हमले के बाद भाग गए थे. यह क्षेत्र सीमा से करीब 15-20 किलोमीटर की दूरी पर है.
पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि सेना के जवानों पर हमला करने वाले उग्रवादियों की धरपकड के लिए पारालोंग, चरोंग, मोल्तुह और कुछ अन्य इलाकों में खोज अभियान चलाया जा रहा है. उग्रवादियों ने कल बारुदी सुरंगों, रॉकेट चालित ग्रेनेडों और स्वचालित हथियारों से सेना के जवानों पर हमला किया था. दो दशकों में उग्रवादियों का यह सबसे बडा हमला था.
सेना या असम राइफल्स से संपर्क नहीं हो पाया. सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग आज दिन में यहां आए। सैन्य सूत्रों के अनुसार सुहाग को तीसरी कोर के कमांडर और शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने घटना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि उग्रवादियों के खिलाफ दीर्घकालिक और लक्षित अभियानों के लिए एक विस्तृत अभियान योजना पर काम किया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि फिलहाल ध्यान शहीद सैनिकों के शवों को भेजने और क्षेत्र की पूरी तरह छानबीन करने पर केंद्रित है.
सेना और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने हमले के पीछे मणिपुर के उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और कांगलेई यावोल कन्ना लुप :केवाईकेएल: का हाथ होने का संदेह व्यक्त किया है जबकि और एनएससीएन (के) ने इसकी जिम्मेदारी ली है. केंद्र ने उसके साथ संघर्षविराम मार्च में रद्द कर दिया था. एनएससीएन (के) ने यह भी दावा किया है कि यह हमला उसने केवाईकेएल, और कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी ने मिलकर किया.