नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने आज एक मामले में तीन पुलिसकर्मियों के बयान अभियोजन पक्ष के गवाहों के तौर पर दर्ज किये जिस मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला 2006 में यहां जंतर मंतर पर अपने आमरण अनशन के दौरान कथित रुप से आत्महत्या की कोशिश करने के मामले में मुकदमे का सामना कर रहीं हैं. मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आकाश जैन ने इंसपेक्टर सुभाष, एएसआई पाल सिंह और कांस्टेबल कपिल के बयान दर्ज किये. घटना के समय पाल सिंह संसद मार्ग थाने में हैड कांस्टेबल थे.
अदालत ने अन्य गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए कल की तारीख तय की. सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्स्पा) को हटाने की मांग को लेकर मणिपुर में 14 साल से अनशन कर रहीं शर्मिला भी सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद थीं. 42 वर्षीय शर्मिला फिलहाल मणिपुर में उनके खिलाफ दर्ज एक और मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
अदालत ने पहले अभियोजन पक्ष के चार गवाहों के बयान दर्ज किये थे, जिनमें सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त जी एल मेहता, डॉ प्रशांत सिन्हा और दिल्ली पुलिस के दो अन्य अधिकारी शामिल थे. शर्मिला को एम्स में भर्ती कराये जाने के बाद उनकी चिकित्सकीय जांच सिन्हा ने की थी. शर्मिला ने पहले अदालत में कहा था कि वह खाने पीने की बहुत इच्छुक हैं बशर्ते उन्हें आश्वासन दिया जाए कि इस कानून को हटा लिया जाएगा.
उन्होंने अदालत में कहा था कि उन्होंने कभी खुदकुशी की कोशिश नहीं की और यह महज आफ्स्पा के खिलाफ विरोध था. इस मामले में जमानत पर चल रहीं शर्मिला अगर दोषी पायी गयीं तो उन्हें अधिकतम एक साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है.