छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों का नक्सल विरोधी अभियान तेज

रायपुर : वर्षा के मौसम में बस्तर के अंदरुनी क्षेत्रों में माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाने में सुरक्षा बलों के समक्ष आने वाली दिक्कतों को देखते हुए उन्होंने विद्रोहियों के खिलाफ अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है. क्षेत्र में अगले सप्ताह मानसून आने की संभावना है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, छोटी नदियों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2015 9:30 PM

रायपुर : वर्षा के मौसम में बस्तर के अंदरुनी क्षेत्रों में माओवादियों के खिलाफ अभियान चलाने में सुरक्षा बलों के समक्ष आने वाली दिक्कतों को देखते हुए उन्होंने विद्रोहियों के खिलाफ अपनी गतिविधियों को तेज कर दिया है. क्षेत्र में अगले सप्ताह मानसून आने की संभावना है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, छोटी नदियों में उफान एवं जंगलों में कीचड फैलने के कारण मानसून में अंदरुनी अशांत क्षेत्रों में बड़े स्तर पर अभियान चलाना सुरक्षा बलों के लिए प्राय: कठिन हो जाता है. उन्होंने कहा, बहरहाल, इसी समय नक्सल अपनी आक्रामक गतिविधियों पर रोक लगा देते हैं तथा भर्ती अभियान पर ध्यान अधिक केन्द्रित करते हैं तथा बरसाती मौसम में अपना दुष्प्रचार फैलाते हैं. यह काम उनके तीन माह लंबे रणनीतिक आक्रामक रोधी अभियान (टीसीओसी) के बाद किया जाता है.

टीसीओसी नक्सलियों द्वारा गर्मियों के मौसम में किया जाता है जिसमें सुरक्षा बलों को इन समूहों की बहुत गतिविधियां देखने को मिलती हैं तथा हमलों का जोखिम बढ़ जाता है. पिछले एक हफ्ते में सुरक्षा बलों ने दो नक्सल शिविरों को नष्ट किया है तथा तीन महिला नक्सली मारी गयी. इसके अलावा बस्तर के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में हथियार एवं गोलाबारुद बरामद किये गये.
दो महिला नक्सली कोडगांव जिले में कल मारी गयी जबकि एक विद्रोही को दो जून को बीजापुर में मार गिराया गया. एक अधिकारी ने कहा, माओवादी आमतौर पर मानसून से पहले छिपने के स्थायी ठिकानों या शिविरों को पसंद करते हैं या वर्षा की दृष्टि से सुरक्षित गांवों में चले जाते हैं. हम इस अवधि में माओवादी सदस्यों की बढ़ी हुई गतिविधियों के बारे में खुफिया सूचनाओं पर बारीकी से नजर रख रहे हैं ताकि उनके ठिकानों को नष्ट किया जा सके.उन्होंने कहा कि कल कोडगांव का अभियान उसी रणनीति का नतीजा था.
उल्लेखनीय है कि प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बस्तर में पांच से 11 जून तक जन पितुरी सप्ताह मना रही है जो उनके मारे गये नेताओं की याद में हो रहा है. वे इस अवधि में भर्ती की ओर भी ध्यान दे रहे हैं. माओवादियों की बढी हुई गतिविधियों की संभावना को देखते हुए अर्द्ध सैनिक बलों ने गश्त तेज कर दी है. दक्षिणी बस्तर के दूर दराज के इलाकों में कई जगहों पर वाहन यातायात काफी कम हो गया है.

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