नयी दिल्ली : कांग्रेस शासित नौ राज्यों के खिलाफ भेदभाव के आरोपों को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि उन्हें राजग शासन के दौरान संप्रग कार्यकाल की तुलना में ज्यादा धन आबंटित किये गये हैं. साथ ही उन्हें अगले पांच साल में विभाजित करों में ज्यादा हिस्सेदारी मिलेगी. इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक का जिक्र करते हुए जेटली ने विपक्षी दल शासित राज्यों से भेदभाव के आरोप को खारिज करने के लिए विस्तार से अपनी बात रखी.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस पार्टी ने आज कांग्रेस शासित नौ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की. पार्टी नेतृत्व ने एक मुद्दा उठाया कि कांग्रेस शासित राज्यों के साथ केंद्र भेदभाव कर रहा है. हालांकि तथ्य इससे अलग है.’ जेटली ने संप्रग शासन के दौरान 2013-14 और राजग सरकार के पहले पूर्ण वित्त वर्ष 2015-16 में आबंटन का तुलना करते हुए कहा कि कर्नाटक और केरल समेत नौ राज्यों का आबंटन 82,487 करोड रुपये से बढकर 1,47,781 करोड रुपये हो गया.
इसमें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार कर विभाजन, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिये अनुदान तथा कोष आबंटन शामिल हैं. अरुण जेटली ने कहा कि साथ ही राजग सरकार के 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के बाद 2015-20 के दौरान नौ राज्यों को संयुक्त रुप से केंद्रीय करों में हिस्सेदारी तीन गुना बढकर 5,98,906 करोड रुपये हो जाएगी. विभाजन योग्य करों में उनकी हिस्सेदारी 2010-15 में 1,94,618 करोड रुपये थी. केरल और कर्नाटक के अलावा कांग्रेस शासित राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम और उत्तराखंड हैं.
जेटली ने कहा कि कर्नाटक को 2015-16 में बजटीय कोष आबंटन 35,468 करोड रुपये रहा जो 2013-14 में 25,093 करोड रुपये था. असम को आबंटन 2015-16 में बढकर 30,075 करोड रुपये हो गया जो 2013-14 में 19,257 करोड रुपये था. हिमाचल प्रदेश को 2015-16 के लिये बजटीय आबंटन बढकर 16,796 करोड रुपये हो गया जो 2013-14 में 6,079 करोड रुपये था. केरल के मामले में भी आबंटन 12,625 करोड रुपये से बढकर 23,360 करोड रुपये हो गया.