नयी दिल्ली : विवाद से बचने के लिए योग के आधिकारिक कार्यक्रम से ‘सूर्य नमस्कार’ को हटाने के बाद सरकार ने आज मुस्लिमों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि इस मौके पर श्लोक पढना अनिवार्य नहीं है. राजपथ पर 21 जून को आयोजित समारोह के लिए समन्वय का काम कर रहे आयुष मंत्रालय के मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि मुसलमान आयोजन के दौरान श्लोक पढने की बजाय ‘अल्लाह’ का नाम ले सकते हैं.
कुछ अल्पसंख्यक समूहों ने जहां सरकार द्वारा ऐसा आयोजन किये जाने और खासतौर पर सूर्य नमस्कार शामिल होने की बात का विरोध किया था, वहीं आज नाइक से मुलाकात करने वाले कुछ मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि योग का विरोध कर रहे लोग मानवता के दुश्मन हैं और योग का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि योग के नियमों पर निर्णय लेने वाली एक समिति ने सूर्य नमस्कार को शामिल नहीं किया है क्योंकि वे इसमें सरल आसन चाहते हैं जिन्हें कोई भी कर सके. नाइक ने आज कहा, ‘हमने विवाद से बचने के लिए सूर्य नमस्कार को शामिल नहीं किया. और इसे करना कठिन भी है. लेकिन सूर्य नमस्कार धार्मिक नहीं है. हम चाहते हैं कि पूरा आयोजन सुगमता से हो.’
नाइक ने मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘श्लोक अनिवार्य नहीं हैं. श्लोक केवल प्रार्थनाएं हैं लेकिन ये अनिवार्य नहीं हैं. वे श्लोक पढने के बजाय अल्लाह का नाम भी ले सकते हैं. मैं मुस्लिमों से अनुरोध करता हूं कि कार्यक्रम में भाग लें और देश को संगठित करें.’ सूर्य नमस्कार को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कुछ संगठनों ने विरोध दर्ज कराया था और कहा था कि यह आस्था के खिलाफ है.