नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री एवं बिहार में भाजपा के एक प्रमुख सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने आज स्वीकार किया कि जदयू और राजद के बीच गठबंधन के चलते बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में राजग को ‘अधिक मेहनत’ करनी होगी. राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (आरएलएसपी) प्रमुख कुशवाहा ने आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करने के बाद कहा, ‘अब हमें अधिक मेहनत करनी होगी.’
शाह बिहार में दो प्रतिद्वंद्वी पार्टियों द्वारा चुनावी गठबंधन की घोषणा किये जाने के बाद बिहार में सहयोगियों के साथ सीटों के बंटवारे को जल्द से जल्द अंतिम रूप देना चाहते हैं. इस बैठक में भाजपा महासचिव एवं बिहार में पार्टी के प्रभारी भूपेंद्र यादव और उनके पूर्ववर्ती एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे. आरएलएसपी बिहार में लडने के लिए 40-50 सीटों की मांग कर रही है. कुशवाहा ने यद्यपि मांग के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि इस पर चर्चा नहीं हुई.
उन्होंने कहा, ‘हमने विधानसभा की अपनी रणनीति पर चर्चा की. यह प्रारंभिक बातचीत थी. आरएलएसपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन करके अपने तीन उम्मीदवार खडे किये थे और तीनों जीत गये थे. रामविलास पासवान की लोजपा बिहार में भाजपा की एक अन्य सहयोगी पार्टी है. इसके साथ ही भाजपा महादलित नेता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी साथ लेने के लिए काम कर रही है जो कि नीतीश कुमार के कट्टर विरोधी हैं.
राजद और जदयू नेताओं के बीच नीतीश कुमार को गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर जब खींचतान चल रही थी तब ऐसा प्रतीत हो रहा था कि बिहार में भाजपा को बढत हासिल है. यद्यपि बाद में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के कुमार को गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने पर सहमत हो जाने के बाद हो सकता है कि अब भाजपा नीत गठबंधन के समक्ष एक मुश्किल कार्य हो.
यद्यपि जब बातचीत चल रही थी तब आरएलएसपी के एक नेता ने सुझाव दिया कि पिछडी जातियों में राजद-जदयू के प्रभाव के मुकाबला के लिए कुशवाहा को राजग का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देना चाहिए. आरएलएसपी महासचिव शिवराज सिंह ने जोर देकर कहा, ‘कुशवाहाजी एक विश्वसनीय चेहरा हैं. वह राजद और जदयू का सामाजिक न्याय मुद्दे पर मुकाबला कर सकते हैं जो भाजपा नहीं कर सकती.’