सुप्रीम कोर्ट ने कहा अनिवार्य नहीं स्वैच्छिक है आधार कार्ड
नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि आधार कार्ड प्राप्त करना स्वैच्छिक है और यह नागरिकों के लिये अनिवार्य नहीं है. शीर्ष अदालत ने वेतन तथा भविष्य निधि के भुगतान तथा विवाह और संपत्ति के पंजीकरण जैसी अनेक गतिविधियों के लिये आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के कुछ राज्यों के निर्णय […]
नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि आधार कार्ड प्राप्त करना स्वैच्छिक है और यह नागरिकों के लिये अनिवार्य नहीं है. शीर्ष अदालत ने वेतन तथा भविष्य निधि के भुगतान तथा विवाह और संपत्ति के पंजीकरण जैसी अनेक गतिविधियों के लिये आधार कार्ड अनिवार्य बनाने के कुछ राज्यों के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र से कहा कि गैरकानूनी अप्रवासियों को आधार कार्ड जारी नहीं किये जायें क्योंकि यह उनके प्रवास को वैध बना देगा.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है तो हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि आधार कार्ड स्वैच्छिक है. इस मामले पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की खंडपीठ को बताया गया कि आधार कार्ड ‘स्वैच्छिक’ होने के बावजूद बंबई उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने राज्य सरकार के एक आदेश पर अमल करते हुये आदेश दिया है कि न्यायाधीशों और कर्मचारियों के वेतन वितरण के लिये यह अनिवार्य होगा.
कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के एस पुट्टास्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने कहा कि इस योजना से संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के प्रावधान का उल्लंघन होता है. सरकार का दावा है कि यह योजना स्वैच्छिक है लेकिन ऐसा है नहीं.
उन्होंने कहा कि विवाह के पंजीकरण तथा दूसरे कार्यो के लिये आधार कार्ड को अनिवार्य बनाया जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में कहा है कि यदि पक्षों (वर वधु) के पास आधार कार्ड नहीं है तो विवाह का पंजीकरण नहीं होगा. न्यायमूर्त पुट्टास्वामी ने अपनी जनहित याचिका में इस योजना के अमल पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.