मुंबई : बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले इंडिया लिमिटेड ने गुरुवार को मुंबई हाइकोर्ट में जनस्वास्थ्य के लिए ‘नुकसानदेह’ होने पर भारतीय बाजार से उसके उत्पाद ‘मैगी’ के नौ प्रकारों पर पाबंदी लगाने के खाद्य अधिकारियों के आदेशों को चुनौती दी. इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी. कंपनी के वकील ने जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस बीपी कोलाबावाला की खंडपीठ के सामने मौखिक रूप से पुनरीक्षा याचिका (दिल्ली और महाराष्ट्र के अधिकारियों द्वारा जारी आदेश के खिलाफ अपील) का उल्लेख किया.
इससे पहले मैगी विवाद में फंसी नेस्ले इंडिया ने गुरूवार को बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. कंपनी ने भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के उसके इंस्टैंट नूडल्स ब्रांड की गुणवत्ता पर आदेश को लेकर न्यायिक समीक्षा की अपील की है. बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा है कि मैगी नूडल के मुद्दे को सुलझाने के प्रयास के तहत नेस्ले इंडिया बंबई उच्च न्यायालय गई है और उसने खाद्य सुरक्षा और मानक कानून, 2011 की व्याख्या का मुद्दा उठाया है.
इसके अलावा उसने महाराष्ट्र में खाद्य एवं दवा प्रशासन के 6 जून, 2015 तथा एफएसएसएआई के 5 जून के आदेश पर न्यायिक राय मांगी है. कंपनी ने कहा है कि इसके साथ ही वह मैगी नूडल उत्पाद को बाजार से वापस लेने की प्रक्रिया को जारी रखेगी. उसके इस कदम से नूडल को हटाने की प्रक्रिया में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होगा. एफएसएसएआई ने पिछले सप्ताह आदेश जारी कर नेस्ले इंडिया के मैगी नूडल्स की सभी किस्मों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी करते हुए इसे मानव के खाने के लिए असुरक्षित व खतरनाक बताया था.
परीक्षणों में मैगी में स्वाद बढाने वाले मोनोसोडियम ग्लूटामेट तथा सीसा तय मात्रा से अधिक पाया गया था. उसके बाद कई राज्यों ने मैगी ‘2 मिनट’ इंस्टैंट ब्रांड पर प्रतिबंध लगा दिया था. महाराष्ट्र सरकार ने भी मैगी नूडल के कुछ नमूनों में सीसा तय सीमा से अधिक पाए जाने के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया है.