नयी दिल्ली: ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग ने आज भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात करने के बाद इस दल में शामिल होने की घोषणा की.बताया जाता है कि भाजपा नेतृत्व ने उनके पार्टी में शामिल होने को स्वीकार कर लिया है लेकिन इसकी औपचारिकताएं बाद में भुवनेश्वर में की जाएंगी.
पिछले महीने 30 तारीख को कांग्रेस छोडने की घोषणा करने वाले ओडिशा के आदिवासी नेता ने कहा कि उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला इसलिए किया कि एक तो यह राष्ट्रीय दल है और दूसरे वह इसकी राजनीतिक रणनीति को पसंद करते हैं.
बहत्तर वर्षीय गमांग ने शाह से मिलने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है, जल्द ही औपचारिक रुप से इसमें शामिल होउंगा. इसका निर्णय भाजपा की प्रदेश इकाई शीघ्र करेगी. मैंने आज भाजपा प्रमुख अमित शाह से भेंट की और अपनी इच्छा बताई जिसे पार्टी नेतृत्व ने स्वीकार कर लिया है.’’ भाजपा में शामिल होने की वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास बहुत से विकल्प थे. लेकिन मैंने ऐसी पार्टी में जाना तय किया जहां मेरी स्वीकार्यता हो.’’
उन्होंने कहा, भाजपा एक राष्ट्रीय दल है और अब उसने साबित कर दिया है कि वह कांग्रेस का विकल्प है. भारतीय लोकतंत्र में वह जिस तरह की रणनीति पर चल रही है, मेरा मानना है कि यह राजनीतिक रणनीति का नया विचार है..मैं चाहूंगा कि यह केवल सत्ता में ही नहीं रहे बल्कि जनता की सेवा करे.
शाह से गमांग की इस भेंट के दौरान केंद्रीय मंत्री जुआल ओराम और धर्मेन्द्र प्रधान, पार्टी के सचिव अरुण सिंह भी उपस्थित थे. प्रधान ने गमांग की शाह से मुलाकात को ‘शिष्टाचार भेंट’ बताते हुए कहा कि वह ओडिशा के अनुभवी नेता हैं, जिनकी आदिवासियों, गरीबों और पिछडे वर्गो में काफी पकड और इज्जत है.
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस एक दिवालिया पार्टी है और हर कोई उसे छोड रहा है. गमांग के शामिल होने से ओडिशा में भाजपा को बडा फायदा होगा.’’ उनके अनुसार आज निर्णय यह हुआ है कि केंद्रीय मंत्री जुआल ओराम के नेतृत्व और उपस्थिति में गमांग औपचारिक रुप से भुवनेश्वर में भाजपा में शामिल होंगे.
भाजपा की रणनीति यह है कि ओडिशा के आदिवासियों के बीच अपने आधार को मजबूत किया जाए और 2019 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ बीजद का मुकाबला किया जाए.
गमांग 1999 में नौ महीने ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे और वह केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. लोकसभा के लिए वह पहली बार 1972 में चुने गए थे.