नयी दिल्ली/जयपुर : ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) नीति को लागू करने में देरी से नाराज पूर्व सैनिकों ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन किया और एक साल पहले किये गये वादे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल पूरा करने की मांग की. पूर्व सैनिकों ने इस मुद्दे पर सोमवार से क्रमिक भूख हड़ताल पर जाने की धमकी दी है. इस दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हस्तक्षेप की मांग की गयी.
पूर्व सैनिकों ने रविवार को विरोध-प्रदर्शन तब शुरू किया, जब सरकार के साथ उनकी औपचारिक और परदे के पीछे जारी वार्ता विफल हो गयीं. पूर्व सैनिकों को ‘वन रैंक, वन पेंशन’ लागू करने के लिए कोई निश्चित समय-सीमा नहीं दी गयी. रक्षा मंत्री मनोहर र्पीकर ने जयपुर में सीमा सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों और समाधानों पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमने जो वादे किये हैं, सभी पूरे किये जायेंगे, लेकिन कुछ लोगों को धैर्य रखने की जरूरत है.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ओआरओपी की फाइल अंतिम बजट मंजूरी के लिए वित्त मंत्रलय के पास है. इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी समझे जानेवाले अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर ओआरओपी को लागू करने की मांग की है, ताकि पूर्व सैनिकों का विश्वास नहीं टूटे.
लागू होने तक जारी रहेगा प्रदर्शन
पूर्व सैनिकों का कहना है कि यह नीति असंतुलित है और इसमें संशोधन की जरूरत है. इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट (आइइएसएम) के मीडिया सलाहकार कर्नल (सेवानिवृत्त) अनिल कौल ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर एक रैली में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें आश्वासन दिया था कि इसे लागू किया जायेगा, लेकिन एक वर्ष में ऐसा नहीं हुआ.’ उन्होंने बताया कि पंजाब, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के 50 से अधिक शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हुए. आइइएसएम के उपाध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने मीडिया से कहा कि जब तक ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को लागू नहीं किया जाता, तब तक विरोध-प्रदर्शन जारी रहेगा. कहा कि वे किसी सरकार के खिलाफ नहीं है, लेकिन अपनी लंबे समय से लंबित मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.
‘‘प्रधानमंत्री की आवाज हमारे दिमाग में अभी भी गूंज रही है, जब वह 15 सितंबर, 2013 को रेवाड़ी में पूर्व सैनिकों की रैली में गरजे थे और तब की संप्रग सरकार से ओआरओपी पर उन्होंने श्वेतपत्र जारी करने की मांग की थी. वह यहीं नहीं रुके थे, बल्कि यह भी कहा था कि अगर 2004 में भाजपा की सरकार होती, तो अब तक ओआरओपी हकीकत में तब्दील हो चुका होता. पूर्व सैनिकों ने मोदी पर भरोसा किया, क्योंकि उन्हें उनमें ओआरओपी की लंबित मांग को पूरा करने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखनेवाला नेता दिखायी दिया.
अनिल कौल, कर्नल (सेवानिवृत्त) , मीडिया सलाहकार आइइएसएम
‘‘मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हमने जो वादे किये हैं, सभी पूरे किये जायेंगे. लेकिन कुछ लोगों को धैर्य रखने की जरूरत है.
मनोहर र्पीकर, रक्षा मंत्री