नयी दिल्ली : दागी सांसदों और विधायकों को योग्य घोषित करने और उन्हें संरक्षण प्रदान करने हेतु कैबिनेट ने अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अध्यादेश कानून का रूप ले लेगा. आज सुबह ही सूत्रों के हवाले से यह खबर आयी थी कि सरकार ऐसा अध्यादेश लाने वाली है.
चूंकि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद दोषी ठहराये गये और दो साल से अधिक सजा पाये हुए सांसदों और विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है, इसलिए सरकार इस अध्यादेश को लाने का मन बना चुकी थी.
सीबीआई अदालत द्वारा अगले माह सजा घोषित किए जाने पर मसूद के अपनी राज्यसभा सदस्यता गंवा देने की आशंका है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय का दस जुलाई का आदेश प्रभावी हो चुका है. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद वह अपनी संसद सदस्यता गंवाने वाले पहले सांसद होंगे.
अभी ऐसी भावना है कि जब तक संसद उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त करने के लिए जन प्रतिनिधित्व (दूसरा संशोधन) विधेयक पारित नहीं करती है, तब तक सांसद, विधायक और पार्षद अपनी सदस्यता गंवाते रहेंगे. लेकिन, इसी के साथ ही ऐसी भी भावना है कि यदि अध्यादेश लाया गया, तो विपक्ष संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार को आड़े हाथ ले सकता है, क्योंकि विधेयक संसद में लंबित है.