नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि यदि शीर्ष अदलात राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून निरस्त कर दे तो भी न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली कालेजियम प्रणाली बहाल नहीं हो सकती है.न्यायमूर्ति जे एस खेहड की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने पिछले शुक्रवार को न्यायालय द्वारा की गयी टिप्पणी के जवाब में यह दलील दी.
न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को टिप्पणी की थी कि यदि शीर्ष अदालत 99वें संविधान संशोधन और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून को निरस्त कर देता है तो न्यायाधीशों की नियुक्ति वाली कालेजिम प्रणाली स्वत: ही बहाल हो जायेगी.
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल शामिल हैं.
रंजीत कुमार ने कहा कि यह एकदम स्पष्ट है कि यदि किसी स्थानापन्न प्रावधान को निरस्त किया जाता है तो जिस प्रावधान के स्थान पर नया प्रावधान लाया गया था उसके बहाल होने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि जिस प्रावधान की जगह नया प्रावधान लाया गया था वह कानून की किताब में हट चुका होता है.
इस पर न्यायाधीशों ने सालिसीटर जनरल से अनेक सवाल किये.न्यायाधीशों ने कहा, आपका (सालिसीटर जनरल) कहने का यह तात्पर्य है कि यदि हम इसे निरस्त करने का निर्णय करते हैं तो इसे सिर्फ संसद द्वारा संविधान में संशोधन करके ही वापस लाया जा सकता है. यदि हम बुनियादी ढांचे के सिद्धांत का उल्लंघन करने के आधार पर इसे निरस्त कर दे तो भी ऐसा हो सकता है. पहले वाली स्थिति क्यों नहीं बहाल हो सकती है?