अजमेर : सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के वंषानुगत सज्जादानशीन दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने 21 जनवरी को योगा दिवस में बढ-चढ कर हिस्सा लेने की अपील करते हुए कहा कि कट्टरपंथी संगठन योगा दिवस का विरोध करके मुसलमानों में भ्रम के हालात पैदा कर रहे है.
उन्होंने कहा कि योगा शारीरिक व्यायाम का प्रमुख साधन है ना कि किसी प्रकार की धार्मिक क्रिया का हिस्सा इसे नमाज या किसी मजहबी अमल से जोडना सरासर गलत है.कट्टरपंथी संगठन इसमें भ्रम फैलाकर मजहबों के बीच वैमनस्य फैलाने की साजिश रच रहे है. दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने आज जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र सहित समुचा विश्व 21 जून को योग दिवस मनाने की तैयारियां कर रहा है जो भारत के लिये सम्मानजनक बात है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का वह फैसला जिसमें सूर्य नमस्कार को योगा क्रियाओं से निकालने के लिये लिया है, स्वागत करने योग्य है. ऐसा करके प्रधानमत्री सभी धर्मों कि धार्मिक भावनाओं का आदर करते हुऐ मुल्क की साम्प्रदायिक सद्भावना को अधिक सम्बल प्रदान किया है. ऐसा कदम धार्मिक कट्टरपंथियों को करारा झटका है जो मुल्क का माहौल खराब करने का इरादा रखते है.
आबेदीन अली खान ने देश के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि कट्टरपंथियों द्वारा फैलाए गये भ्रम का शिकार ना होते हुए 21 जून को योग दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में बढ-चढ कर हिस्सा लेकर योग दिवस को कामयाब करें ताकि भारतीय मुसलमान वैश्विक स्तर पर एक मिसाल के रूप मे नजर आएं, जबकि प्रधानमंत्री ने योग की क्रियाओं में सूर्य नमस्कार जैसी विवादित और भ्रम फैलाने वाली क्रिया को हटा दिया है.