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लालकृष्ण आडवाणी ने एकदम सही कहा :भाजपा

नयी दिल्ली : देश में लोकतंत्र को कुचल सकने वाली शक्तियों के मजबूत होने और फिर से आपातकाल लग सकने संबंधी लालकृष्ण आडवाणी की चितांओ पर भाजपा ने कहा कि उन्होंने एकदम सही कहा है और बिहार में जिस तरह से कभी आपातकाल का विरोध करने वाली शक्तियां आज कांग्रेस से मिल रही हैं उससे […]

नयी दिल्ली : देश में लोकतंत्र को कुचल सकने वाली शक्तियों के मजबूत होने और फिर से आपातकाल लग सकने संबंधी लालकृष्ण आडवाणी की चितांओ पर भाजपा ने कहा कि उन्होंने एकदम सही कहा है और बिहार में जिस तरह से कभी आपातकाल का विरोध करने वाली शक्तियां आज कांग्रेस से मिल रही हैं उससे यह स्थिति और आशंका उत्पन्न हो रही है.

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने यहां कहा, देश में आपातकाल लगने की घटना के 40 साल होने जा रहे हैं और आडवाणीजी ने इसी प्रसंग में इसका उल्लेख किया है. उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बिना कहा, आपातकाल के खिलाफ आवाज बिहार की भूमि से उठी और उस समय एक युवा रुप में इस उद्घोष में कोई शामिल था जिसमें कहा गया था जाग उठी तरुणाई है, जेपी ने अलख जगाई है, लेकिन वे अब कांग्रेस के साथ खडे हो गए हैं. ऐसा ह्रास होता है तो ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती हैं और आडवाणीजी का संकेत निश्चित तौर पर उस ओर था.

उल्लेखनीय है कि आडवाणी की इस टिप्पणी कि जो शक्तियां लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वे मजबूत हैं और आपातकाल की आशंका है, से विपक्ष में यह अटकलें लगनी शुरु हो गई हैं कि यह टिप्पणी नरेन्द्र मोदी पर निशाना है.भाजपा प्रवक्ता ने हालांकि इन अटकलों को आज खारिज करते हुए उसका दूसरा अर्थ देने का प्रयास किया. उन्होंने कहा, आडवाणीजी भारत की राजनीति के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं. उन्होंने भारतीय राजनीति में युगान्तर स्थापित होते देखा है. जो उन्होंने कहा, बिल्कुल सही कहा.
विगत 40 साल में आप देखें तो राजनीति में विचारधारा, मूल्यों और सिद्धांतों का क्रमश: लोप होता चला गया है. बिहार में जदयू, राजग और कांग्रेस के हाथ मिलाने के संदर्भ में सुधांशु ने कहा, जब केवल सत्ता पाने की प्रवृत्ति हावी हो जाती है तो इस तरह की प्रवृत्तियों (आपातकाल) की संभावना हो सकती है जैसी कि आडवाणीजी ने संकेत किया है.
लालकृष्ण आडवाणी ने एक दिन पहले इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा है, संवैधानिक एवं कानूनी सुरक्षा उपायों के बावजूद वर्तमान समय में, लोकतंत्र को कुचल सकने वाली शक्तियां मजबूत हैं. उन्होंने कहा, 1975 से 77 तक आपातकाल के समय के बाद से मैं नहीं समझता कि ऐसा कुछ किया गया है जो इस बात को पुख्ता करे कि नागरिक स्वतंत्रताओं को दोबारा निलंबित या नष्ट नहीं किया जाएगा एकदम नहीं.

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