नयी दिल्ली : देश के प्रतिष्ठित कॉलेज सेंट स्टीफंस के एक प्रोफेसर पर कॉलेज की एक छात्रा ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. छात्रा की शिकायत पर मॉरिसनगर थाने में पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज कर ली है. पुलिस ने इस संबंध में कहा है कि वह मामले की जांच पडताल के बाद ही आगे आवश्यक कदम उठायेगी.
उधर, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बरखा सिंह ने कहा है कि सेंट स्टीफंस देश का सबसे प्रतिष्ठत कॉलेजों में एक है और उनके पास यह मामला आने पर वे इस पर गंभीरता से विचार करेंगी. उन्होंने इस घटना को शर्मनाक बताया है और कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए.बरखा ने कहा कि देश की इस तरह के प्रतिष्ठित कॉलेज में इस तरह की घटना होना काफी शर्मनाक है. मामले की जांच हो और दोषी के खिलाख सख्त कार्रवाई की जाये.
वहीं, दिल्ली यूनिवर्सिटी टिचर्स एसोसिएशन (डीयूटीए) की नंदीता नारायण ने कहा है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और प्रिंसिपल को अविलंब आरोपी शिक्षक को पद से हटाना चाहिए.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सेंट स्टीफंस कॉलेज की एक रिसर्च स्कॉलर ने गुरुवार को मॉरिसनगर थाने में कॉलेज के ही एक असिस्टेंट प्रोफेसर पर यौन उत्पीडन का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत दर्ज करायी है और पुलिस ने आइपीसी की धारा 354 के तहत केस दर्ज कर लिया है. छात्रा ने शिकायत में कहा है कि प्रोफेसर ने पिछले साल उनका यौन शोषण किया था और उन्होंने इसकी शिकायत कॉलेज प्रशासन से भी की थी.
बताया जा रहा है कि इस मामले में इंटरनल जांच पूरी होने से पहले ही छात्रा ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी है, जिसके बाद यह मामला तूल पकडता जा रहा है. पुलिस इस मामले में जांच पडताल में जुट गयी है. मालूम हो कि छात्रा ने जिस शिक्षक के खिलाफ शिकायत की है, वे ही उसके रिसर्च गाइड हैं.
प्रिंसिपल करें कार्रवाई, सरकार भी सोचे : डूटा
दिल्ली यूनिवर्सिटी टिचर्स एसोसिएशन (डीयूटीए) की नंदीता नारायण ने इस पूरे मामले को गंभीर बताते हुए कहा है कि टीचर को पद से हटा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि हमारे पास जो जानकारी है, उसे पता चला है कि छात्रा का स्टाइपेन भी रूक गया है. उन्होंने कहा कि यह भी सेक्सुअल हरासमेंट कहलाता है. उन्होंने कहा है कि सरकार को भी इस मुद्दे पर सोचना चाहिए. नंदीता नारायण के अनुसार, इस संबंध में नया कानून बनने के बाद कंपलेन कमेटी में छात्रों की कोई भूमिका नहीं रह गयी है, जबकि पहले नौ सदस्यीय समिति में तीन प्रतिनिधि छात्रों के बीच से होते थे. साथ ही कंपलेन कमेटी को इंस्टीट्यूशन के ऑथोरिटी से अलग करना चाहिए.