कोयला घोटाला: न्यायालय ने जांच का विस्तार किया

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज कोयला खदान वाले सात राज्यों को नोटिस जारी कर कोयला खदानों के आबंटन में उनकी भूमिका पर स्पष्टीकरण मांगा है. इससे पहले, केंद्र सरकार ने इन आवंटनों में किसी भी प्रकार की अनियमिततओं से पल्ला झाड़ते हुये कहा था कि उसकी भूमिका कोयला खदानों की पहचान करने तक ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2013 6:54 PM

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज कोयला खदान वाले सात राज्यों को नोटिस जारी कर कोयला खदानों के आबंटन में उनकी भूमिका पर स्पष्टीकरण मांगा है. इससे पहले, केंद्र सरकार ने इन आवंटनों में किसी भी प्रकार की अनियमिततओं से पल्ला झाड़ते हुये कहा था कि उसकी भूमिका कोयला खदानों की पहचान करने तक ही सीमित थी और शेष काम राज्य सरकारों का था.न्यायमूर्ति आर एम लोढा, न्यायमूर्ति मदन लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडीशा, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल सरकार से जवाब तलब किया है. उनसे 29 अक्तूबर तक न्यायालय के चार सवालों का जवाब देने को कहा गया है.

न्यायालय ने कोयला खदानों के आबंटन वाली कंपनियों में यथास्थिति बनाये रखने के बारे में कोई भी आदेश देने से इंकार करते हुये कहा कि इस पर उनका पक्ष सुनने के बाद ही विचार किया जा सकता है.

न्यायालय ने कोयला खदानों के आबंटन के मामले में केंद्र सरकार के ‘विरोधाभासी’ रवैया देखने के बाद यह निर्देश दिया.शीर्ष अदालत ने इन सभी राज्य सरकारों से जानना चाहा है कि आबंटन के मसले को वे किस तरह समझते हैं क्योंकि केंद्र ने तो इसे सिर्फ खदानों की पहचान करने और कंपनियों को आशय पत्र देने भर की कवायद बताया है.

राज्यों को कोयला खदानों के आबंटन में राज्य की भूमिका भी स्पष्ट करनी है जो केंद्र करता है और इसके बाद खान और खनिज :विकास एवं नियमन: कानून के प्रावधानों के तहत उठाये जाने वाले कदमों के बारे में उनकी भूमिका भी बतानी है.

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों से कोयला खदानों का आबंटन प्राप्त करने वाले राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों के साथ निजी कंपनियों के समझौते का विवरण भी मांगा है.

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