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छगन भुजबल मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बिल्डरों से पूछताछ की

मुम्बई : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ दो मामले दर्ज करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज उस बिल्डिंग कंपनी के मालिकों से पूछताछ की जिन्हें दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण का ठेका दिया गया था. कंपनी के परिसरों पर ईडी ने छापेमारी भी की. महाराष्ट्र सदन के निर्माण का ठेका […]

मुम्बई : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री छगन भुजबल के खिलाफ दो मामले दर्ज करने वाले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज उस बिल्डिंग कंपनी के मालिकों से पूछताछ की जिन्हें दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण का ठेका दिया गया था. कंपनी के परिसरों पर ईडी ने छापेमारी भी की. महाराष्ट्र सदन के निर्माण का ठेका प्रक्रियाओं का कथित रूप से उल्लंघन कर चमनकर इंटरप्राइजेज को दिया गया था. भुजबल और उनके परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनियों और ट्रस्टों को इस सौदे में काफी रिश्वत मिलने का आरोप है.

ईडी ने इस मामले में कृष्णा, प्रणीता और प्रसन्ना चमनकर पर मामला दर्ज किया है. ईडी के एक सूत्र ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हमारे अधिकारियों ने मुंबई में चमनकर के चार परिसरों पर छापेमारी के बाद उनसे पूछताछ की.’ सूत्रों ने कहा कि इस मामले में उनसे पूछताछ जरुरी है. उन्होंने बताया कि ईडी के अधिकारियों ने राजेश मिस्त्री के परिसर पर भी छापेमारी की. एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने परिसरों से कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं.’

एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि चमनकर और मिस्त्री के परिसरों पर छापेमारी से उन्हें युवराज शेट्टी के बारे में पता चला. शेट्टी ने प्रवेश कंस्ट्रक्शन के शेयर 2013 में काफी ऊंचे दाम पर खरीदे थे. भुजबल परिवार प्रवेश कंस्ट्रक्शन चलाता है. एक अधिकारी ने कहा, ‘शेट्टी ने एक पते पर चार परिसर पंजीकृत कराये थे और हमने उनके परिसरों पर भी छापेमारी की.’

एसीबी ने पाया कि चमनकर इंटरप्राइजेज को ठेका मिलने के बाद चमनकर एसोसिएट्स ने भुजबल या उनके परिवार के सदस्यों द्वारा परोक्ष या प्रत्यक्ष तौर पर नियंत्रित कंपनियों में काफी धन स्थानांतरित किया. ईडी ने पिछले हफ्ते राकांपा नेता के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत दो प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट दायर की थी. एजेंसी को संदेह है कि कुल 900 करोड रुपये का अवैध लेन-देन हुआ है.

एजेंसी ने सिंगापुर की एक कंपनी के चार लोगों को समन किया है जिसमें भुजबल की कंपनी आर्मस्ट्रांग एनर्जी ने निवेश किया है. ईडी का पहला मामला महाराष्ट्र सदन घोटाला और कलीना भूमि आवंटन मामले से संबंधित है जबकि दूसरा मामला नवी मुंबई की एक हाउसिंग परियोजना से संबंधित है जिसमें बिल्डर ने 2010 में फ्लैट की कुल कीमत का दस फीसदी बुकिंग राशि के तौर पर लिया था लेकिन काम शुरू नहीं किया.

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