चीन ने भारत को दिया झटका, लखवी मामले पर UN में पाकिस्तान का दिया साथ

नयी दिल्‍ली : चीन की ओर से पाकिस्‍तान और आतंकवादी जकी उर रहमान लखवी के प्रति संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में भारत के कार्रवाई की मांग पर रोक लागने के बाद अब भारत के लिए दोबारा अपील का रास्‍ता बंद हो गया है. भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ से मुंबई हमले के मास्‍टरमाइंड लखवी की रिहाई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2015 7:28 PM

नयी दिल्‍ली : चीन की ओर से पाकिस्‍तान और आतंकवादी जकी उर रहमान लखवी के प्रति संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ में भारत के कार्रवाई की मांग पर रोक लागने के बाद अब भारत के लिए दोबारा अपील का रास्‍ता बंद हो गया है. भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ से मुंबई हमले के मास्‍टरमाइंड लखवी की रिहाई को लेकर पाकिस्‍तान पर कार्रवाई की मांग की थी. इसपर चीन ने एतराज जताते हुए कहा कि भारत के पास पर्याप्‍त जानकारी का अभाव है. चीन संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के स्‍थायी सदस्‍यों में से एक है.

अब जब किसी एक स्‍थायी सदस्‍य की ओर से किसी अस्‍थायी सदस्‍य की अपील पर आपत्ति दर्ज करा देने की स्थिति में कोई भी अस्‍थायी सदस्‍य फिर से दोबार अपील नहीं कर सकता. यूएन का कोई स्‍थायी सदस्‍य ही दोबारा इस मामले को यूएन में उठा सकता है. यूएन के स्‍थायी सदस्‍यों में अमेरिका, चीन, फ्रांस, रुस और ब्रिटेन शामिल हैं. पाकिस्‍तान और भारत यूएन के अस्‍थाई सदस्‍य हैं.

गौरतलब है कि चीन ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकी उर रहमान लखवी की रिहाई को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग संबंधी भारत के कदम को रोक दिया है. प्रतिबंधों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की समिति ने भारत के आग्रह पर यहां बैठक की जिसमें मुंबई हमले के मामले में लखवी की रिहाई को लेकर पाकिस्तान से स्पष्टीकरण मांगा जाना था, लेकिन चीन के प्रतिनिधियों ने इस आधार पर इस कदम को रोक दिया कि भारत के पास पर्याप्त सूचना नहीं है.

समिति के मौजूदा प्रमुख जिम मैकले को लिखे पत्र में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने पिछले महीने कहा था कि पाकिस्तानी अदालत द्वारा रिहा किया जाना 1267 संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का उल्लंघन है. प्रतिबंध संबंधी कदम अलकायदा और लश्कर-ए-तैयबा सहित आतंकवादी संगठन से संबंधित व्यक्तियों और इकाइयों पर लागू होता है.

समिति में संयुक्त राष्ट्र के पांचो स्थायी देश और 10 अस्थायी देश होते हैं. लखवी की रिहाई को लेकर अमेरिका, रुस, फ्रांस और जर्मनी में चिंता जताई गई थी और उसकी फिर से गिरफ्तारी की मांग की गई थी.

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