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सुधार प्रक्रिया के मूल में नागरिको का विश्‍वास हो : PM नरेंद्र मोदी

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि उद्योग घरानों सहित नागरिकों पर विश्वास करना सुधार प्रक्रिया का मूल तत्व है और लाल फीताशाही से लाल कालीन की ओर रूख करने का यही आधार है. यहां एक पुस्तक रेड टेप टु रेड कारपेट एंड देन सम का विमोचन करते हुए मोदी ने कहा, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2015 9:09 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि उद्योग घरानों सहित नागरिकों पर विश्वास करना सुधार प्रक्रिया का मूल तत्व है और लाल फीताशाही से लाल कालीन की ओर रूख करने का यही आधार है. यहां एक पुस्तक रेड टेप टु रेड कारपेट एंड देन सम का विमोचन करते हुए मोदी ने कहा, लाल फीताशाही का उद्योग संदेह के सहारे फलता फूलता है जबकि लाल कालीन का रास्ता विश्वास पर बनता है.

यह पुस्तक आस्ट्रेलियाई खनन कंपनी हैनकॉक प्रॉस्पेक्टिंग ग्रुप की चेयरपर्सन जाइना रिनेहार्ट ने लिखी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि मनुष्य स्वभाविक रुप से अच्छा होता है और उसे अपनी पसंद चुनने की पूरी आजादी मिलनी चाहिए. यह हमारे उन कदमों का आधार है जो हमने भारत में नियामकीय माहौल आसान करने की दिशा में उठाए हैं. मेरे लिए अब तक का सबसे महत्वपूर्ण सुधार विभिन्न गतिविधियों में स्व:प्रमाणन की अनुमति देना है.
विद्यार्थियों से लेकर उद्यमियों तक, हमने दस्तावेजों व प्रक्रियाओं के स्व-सत्यापन की अनुमति दी है. मोदी ने कहा, कुछ लोगों की गलती की सजा हम सभी पक्षों को नहीं दे सकते. इसलिए, कंपनियों सहित नागरिकों पर विश्वास हमारे सुधारों का मूल है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस किताब ने उन्हें उनका एक पुराना वक्तव्य याद दिला दिया कि लोक प्रशासन की समस्या उस दिन खत्म हो जाएगी जब राजनेता न कहना सीख जाएंगे और नौकरशाह हां कहना सीख जाएंगे.
प्रधानमंत्री ने कहा कि यही वजह है कि उनकी सरकार ने अधिकतम उर्जा लोगों की मन:स्थिति बदलने पर समर्पित कर रखी है. एलपीजी सब्सिडी का जिक्र करते हुये मोदी ने कहा भारत में दुनिया की सबसे बडी ऑनलाइन हस्तांतरण प्रक्रिया है.
लेकिन इसमें उन लोगों के लिए न कहना शामिल है जो पात्र नहीं हैं. इसमें पात्र लोगों के लिए हां कहना और प्रभावी तरीके से उनके लिए काम करना भी शामिल है. अच्छी बात यह है कि यह बहुत प्रभावी ढंग से काम कर रहा है. मोदी ने कहा कि अर्थशास्त्रियों द्वारा सरकार की नीतियों का विश्लेषण करना उन लोगों से भिन्न है जो वास्तव में इसमें भागीदार हैं. भारत-आस्ट्रेलिया संबंधों पर उन्होंने कहा, पिछले एक साल से मैं और प्रधानमंत्री एबोट दोनों देशों की संभावनाओं का दोहन करने में सक्रिय रुप से लगे हैं. आस्ट्रेलियाई व्यापार एवं निवेश मंत्री की वर्तमान भारत यात्रा इस दिशा में और एक कदम है

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