पढ़े:”राइट टू रिजेक्ट” पर किसने क्‍या कहा…

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वोटरों को ‘राइट टू रिजेक्ट’ का अधिकार देकर ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश में कहा है कि इस बार ईवीएम मशीन में ‘कोई नहीं’ का बटन भी हो. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पढ़े किसने क्‍या कहा… हम सुप्रीम कोर्ट के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2013 3:29 PM

आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वोटरों को ‘राइट टू रिजेक्ट’ का अधिकार देकर ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश में कहा है कि इस बार ईवीएम मशीन में ‘कोई नहीं’ का बटन भी हो. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पढ़े किसने क्‍या कहा…

हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. सरकार इस पर ऑर्डिनेंस ले आए कि ‘इनमें से कोई नहीं’ को मेजोरिटी मिलती है तो चुनाव कैंसल हो जाएगा तो पूरा देश इनका स्वागत करेगा. क्या सरकार ऐसा करेगी.
अरविंद केजरीवाल, आप नेता


जनता अपनी राय प्रकट करना चाहती है. डेमोक्रेसी में सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है. रिजेक्ट करने से बेहतर होता उम्मीदवार पार्टी ठीक होने पर एकराय बनती. इस पर ज्यादा कमेंट नहीं करना चाहता. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से चुनाव के नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
संदीप दीक्षित, कांग्रेस सांसद

मतदाता के पास जितने विकल्प थे उसमें एक अतिरिक्त विकल्प अब उन्हें मिल गया है. जो लोग लोकतंत्र को मानते हैं वो इसका स्वागत करेंगे, क्योंकि लोकतंत्र में जितने भी अधिकार मतदाता को मिलें वो अच्छा है. कोर्ट का जो निर्णय है उस पर चुनाव आयोग को नियमों में आवश्यक परिवर्तन करने चाहिए. मैं इसे कोई लैंडमार्क नहीं मानता हूं.
बलबीर पुंज, बीजेपी नेता

अभी इस फैसले को देखा नहीं है. लेकिन राइट टू रिकॉल या राइट टू रिजेक्ट मामला बहुत पेचीदा सवाल है. सरकार द्वारा गठित समितियों ने अपने सुझाव दिए हैं, हमने भी सुझाव दिए हैं. लेकिन ये जरूरी है कि चुनाव सुधार के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. हम चुनाव सुधार के पक्ष में हैं.
मुख्तार अब्बास नकवी, बीजेपी नेता

जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में भी ये मांग उठी थी. कोर्ट के फैसले का स्वागत है लेकिन व्यवहारिक नहीं है. देश की जनता इतनी पढ़ी लिखी नहीं है कि राइट टू वोट का इस्तेमाल करेगी.
केसी त्यागी, जेडीयू सांसद

ये राय व्यक्त करने का जनता का मौलिक अधिकार है और ये मिलना चाहिए. आज ऐसा माहैल हो चुका है कि जनता को किसी के ऊपर विश्वास नहीं है. दागी लोगों को संसद में नही होना चाहिए.
प्रशांत भूषण, वकील

फैसले का अध्ययन किये जाने की जरुरत है ताकि यह देखा जा सके कि शीर्ष अदालत ‘नहीं’ करने वाले मतों की सम्पूर्ण संख्या जैसे सभी आयामों पर विचार किया है या नहीं. इस बारे में तत्काल प्रतिक्रिया देना जल्दबाजी होगी.
अजय माकन,कांग्रेस महासचिव

यह असमान्य स्थिति है जिसे दुरुस्त किये जाने की जरुरत है. हमारे संसदीय लोकतंत्र में चुनाव की प्रत्यक्ष भूमिका होती है. चुनाव में न तो चुनाव आयोग और न ही न्यायपालिका हिस्सा लेती है. इसमें राजनीतिक दल हिस्सा लेते हैं. इनसे बिना बात किये इस तरह का निर्णय यह अच्छा संकेत नहीं है.’’
सीताराम येचूरी,माकपा नेता

उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया है, मैं नहीं समझता कि यह सही है.
सोमनाथ चटर्जी,लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष

मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं. मगर यह कई समस्याएं पैदा करेगा. यहां तक की जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करना पड़ेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ अगर 60 प्रतिशत लोग चुनाव में हिस्सा लेते हैं और अगर इस स्थिति में देश में नकारात्मक वोट डालने के अधिकार पर अमल होता है, तब सरकार का गठन कठिन हो जायेगा.’’
राशिद अल्वी,कांग्रेस नेता

हम ऐसे किसी पहल का स्वागत करते हैं जिससे व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सके. संस्थान की मांग है कि उनकी विश्वसनीयता बनी रहे और अगर राजनीतिक व्यवस्था अपनी विश्वसनीयता नहीं बनाये रख सकती है तब दूसरे संस्थान उसका स्थान ले लेंगे. इसमें कोई दो राय नहीं है. या तो पार्टी ऐसा करे या अदालत को हस्तक्षेप करना पड़े यह देखने की जरुरत है. लेकिन व्यवस्था को साफ सुथरा बनाने की जरुरत है. कोई इससे इंकार नहीं कर रहा है. जो कोई भी ऐसा कह रहा है, उसे आशंका है कि उनके सांसद और विधायक सीट खो देंगे.
मीनाक्षी लेखी,भाजपा प्रवक्ता

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