लखवी के मामले पर नरेंद्र मोदी ने चीन को भारत की चिंताओं से कराया अवगत
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकिउर रहमान लखवी को रिहा करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी भारत के एक प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में चीन द्वारा रोक दिए जाने पर मंगलवार को चीनी नेतृत्व के साथ भारत की चिंता साझा की. विदेश मंत्रलय ने कहा कि भारत […]
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकिउर रहमान लखवी को रिहा करने को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी भारत के एक प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में चीन द्वारा रोक दिए जाने पर मंगलवार को चीनी नेतृत्व के साथ भारत की चिंता साझा की. विदेश मंत्रलय ने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के सदस्यों के साथ द्विपक्षीय तौर पर यह मामला उठाया और चीन के मामले में यह शीर्ष स्तर पर उठाया गया.
संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति की एक बैठक में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी क्योंकि उसने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए मुंबई हमले के इस मास्टरमाइंड को रिहा कर दिया है, लेकिन चीन के प्रतिनिधि ने यह कहते हुए इस प्रस्ताव को रोक दिया कि भारत ने पर्याप्त सूचना मुहैया नहीं कराई है. सूत्रों ने बताया कि मोदी ने चीन नेतृत्व के साथ इस मसले पर बात की है. प्रतिबंध समिति के बाकी सभी सदस्य देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया.
विदेश मंत्रलय में प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा, सरकार ने जकीउर रहमान लखवी के मामले में संयुक्त राष्ट्र के 1257 प्रस्ताव के उल्लंघन के मुद्दे पर बात की. इस संबंध में हमारी चिंताओं को समिति के अध्यक्ष तक पहुंचा दिया गया है. उन्होंने कहा, हमने समिति के अन्य सदस्यों के साथ भी द्विपक्षीय रुप से इसपर बात की. चीन के मामले में इस मामले पर शीर्षस्थ स्तर पर बात की गई. मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड लखवी को पाकिस्तान ने इस साल अप्रैल में जेल से छोड़ दिया था. संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति की बैठक भारत के अनुरोध पर पिछले सप्ताह बुलाई गई थी.
स्वरुप ने कहा कि 1267 समिति संयुक्त राष्ट्र चार्टर के चैप्टर- 7 के अंतर्गत बनाई गई थी और इसके फैसले संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों पर बाध्यकारी हैं. संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के मौजूदा अध्यक्ष जिम मैकले को भेजे पत्र में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने पिछले सप्ताह कहा कि पाकिस्तान की एक अदालत द्वारा लखवी को रिहा किया जाना संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1267 का उल्लंघन है. यह समिति उन व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंधात्मक उपाय लागू करती है जो अल कायदा और लश्करे तैयबा जैसे अन्य आतंकी संगठनों से संबद्ध पाए जाते हैं. प्रतिबंध समिति में पांच स्थायी और 10 गैर स्थायी सदस्य हैं.
स्वरुप ने कहा कि भारत के प्रस्ताव को चीन द्वारा रोके जाने के मामले पर प्रतिबंध समिति के अध्यक्ष के साथ भी चर्चा की गई. समिति की अध्यक्षता इस समय न्यूजीलैंड के पास है. लखवी की रिहाई पर अमेरिका, ब्रिटेन, रुस, फ्रांस और जर्मनी में भी चिंता है. अमेरिका उसकी पुन: गिरफ्तारी चाहता है. लखवी और छह अन्य अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमाद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और युनुस अंजुम पर नवंबर 2008 में मुंबई पर हमला करने की साजिश रचने और उसे अंजाम तक पहुंचाने का आरोप है.
गौर हो कि 55 वर्षीय लखवी को दिसंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था और 25 नवंबर 2009 को छह अन्य के साथ मुंबई हमले के सिलसिले में अभ्यारोपित किया गया था. इस मामले में 2009 से ही मुकदमा चल रहा है. पाकिस्तान की एक अदालत ने 9 अप्रैल को लखवी को मुक्त कर दिया था. भारत ने इसपर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए सीमापार आतंकवाद को रोकने की दिशा में पाकिस्तान द्वारा दिए गए आश्वासनों का मोल कम करने वाला कदम बताया था.
सूत्रों ने बताया कि चीन ने तकनीकी आधार पर रोक लगाई है और पाकिस्तान से जुड़े आतंकियों की सूची के सभी आग्रहों को बाधित कर दिया. उन्होंने बताया कि मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्र से कुछ माह पहले बीजिंग ने दो ऐसे आग्रहों को बाधित कर दिया था. सूत्रों के अनुसार, चीन अगर प्रतिबंध समिति द्वारा उठाये गये कदम को पसंद नहीं करता तो वह पहले तकनीकी रोक लगाता है और फिर उस कार्रवाई को बाधित कर देता है. प्रतिबंध समिति के प्रावधानों के अनुसार, अगर कोई सदस्य तकनीकी रोक लगाता है तो मामले को फिर से नहीं लाया जा सकता.