संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से होगा शुरू, कांग्रेस ने सुषमा-वसुंधरा के मुद्दे पर सत्र नहीं चलने देने की दी धमकी

नयी दिल्ली : संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा, पर यह तीन सप्ताह का होगा. समझा जाता है कि संसदीय मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने मानसून सत्र की तिथियों के बारे में अपनी सिफारिश दे दी है. इस सत्र के दौरान सरकार को ललित मोदी प्रकरण के बारे में विपक्ष के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 24, 2015 4:11 PM

नयी दिल्ली : संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा, पर यह तीन सप्ताह का होगा. समझा जाता है कि संसदीय मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने मानसून सत्र की तिथियों के बारे में अपनी सिफारिश दे दी है. इस सत्र के दौरान सरकार को ललित मोदी प्रकरण के बारे में विपक्ष के तीखें हमलों का सामना करना पड सकता है. संसद का मानसून सत्र आमतौर पर चार सप्ताह का होता रहा है.

इससे पहले सत्र 20 जुलाई सोमवार से बुलाने का प्रस्ताव था लेकिन ईद का त्योहार 18 या 19 जुलाई को पडने को देखते हुए सत्र 21 जुलाई से शुरू करने का निर्णय किया गया. संसद के मानसून सत्र के काफी हंगामेदार रहने की उम्मीद है क्योंकि सरकार को ललित मोदी प्रकरण के साथ भूमि अधिग्रहण अध्यादेश से जुडे विषयों पर काफी आलोचना का सामना करना पड रहा है. सीसीपीए का नेतृत्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह करते हैं जिसमें कई वरिष्ठ मंत्रियों समेत संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू सदस्य हैं.

कांग्रेस ने सुषमा और वसुंधरा मुद्दे पर सत्र बाधित करने की दी धमकी

कांग्रेस की तरफ से ऐसी चेतावनी आ रही है कि अगर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ललित मोदी प्रकरण में इस्तीफा नहीं दिया तो सत्र संकट में पड सकता है. भाजपा ने हालांकि इन मांगों को खारिज कर दिया है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर ललित मोदी प्रकरण पर विपक्ष की मांग नहीं मानी गई तब कोई भी कामकाज करना एक तरह से असंभव हो जायेगा.

संसद में लंबित कुछ महत्वपूर्ण कामकाज में लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन, रेलवे (संशोधन) विधेयक, जलमार्ग विधेयक, जीएसटी विधेयक, भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक, वनीकरण कोष से संबंधित विधेयक, बेनामी लेनदेन निषेध संशोधन विधेयक 2015 आदि शामिल है. संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा की 35 बैठकें हुईं जो पिछले पांच वर्षो में सर्वाधिक हैं जबकि राज्यसभा की 32 बैठकें हुई थीं.

पिछले सत्र के दौरान लोकसभा में व्यवधान के कारण छह घंटे और 54 मिनट का नुकसान हुआ लेकिन भोजनावकाश नहीं लेकर और निर्धारित समय से अधिक काम करके नुकसान की भरपायी की गई. राज्यसभा में 18 घंटे और 28 मिनट का नुकसान हुआ लेकिन 20 घंटे की भरपायी की गई. सरकार प्रत्येक वर्ष संसद की कम से कम 100 बैठकें कराने को उत्सुक है जिसके बारे में अक्तूबर 2014 में मुख्य सचेतकों और विधानसभाओं के सदन के नेताओं के सम्मेलन में सिफारिश की गई थी.

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