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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब यात्रा कानून को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पंजाब ट्रैवेल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन कानून निरस्त करने के लिये पंजाब स्थित ट्रैवेल एजेन्टों की याचिका पर विचार करने से आज इंकार कर दिया. इन एजेन्ट का तर्क था कि मानव तस्करी पर अंकुश के कानून का उनसे कोई सरोकार नहीं है. न्यायमूर्ति अरुण मिश्र की अवकाशकालीन पीठ ने जानना चाहा […]

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पंजाब ट्रैवेल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन कानून निरस्त करने के लिये पंजाब स्थित ट्रैवेल एजेन्टों की याचिका पर विचार करने से आज इंकार कर दिया. इन एजेन्ट का तर्क था कि मानव तस्करी पर अंकुश के कानून का उनसे कोई सरोकार नहीं है.

न्यायमूर्ति अरुण मिश्र की अवकाशकालीन पीठ ने जानना चाहा कि इसमे प्रतिबंध लगाने संबंधी कौन सा उपबंध है. न्यायालय ने कहा कि यह सिर्फ नियमन करने संबंधी है. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे उच्च न्यायालय जायें. इसके बाद न्यायालय ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी. न्यायालय ने यह भी कहा कि ट्रैवेल एजेन्ट के रुप में पंजीकरण हेतु एक लाख रुपए का लाइसेंस शुल्क निर्धारित करने में कुछ भी गलत नहीं है और इस कारोबार में लाभ को ध्यान में रखते हुये यह राशि अनुचित नहीं हैं.

ट्रैवल एजेन्टों ने पंजाब मानव तस्करी रोकथाम कानून, 2012, जिसका नाम अब पंजाब ट्रैवेल प्रोफेशनल्स रेगुलेशन कानून हो गया है, की वैधानिकता को चुनौती देते हुये इसे निरस्त करने का अनुरोध किया था.

ट्रैवेल एजेन्टों का तर्क था कि चूंकि मानव तस्करी से उनका कोई सरोकार नहीं है, इसलिए कानून के जरिये उस पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता.

याचिका में दलील दी गयी थी कि पंजाब मानव तस्करी रोकथाम :संशोधन: कानून, 2014 के अनुसार यह कानून राज्य में संगठित तरीके से मानव तस्करी में लिप्त लोगों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिये बनाया गया जबकि यह समझ में नहीं आता कि पेशेवर ट्रैवेल एजेन्टों को नियंत्रित करके इस पर कैसे अंकुश लगाया जा सकता है.

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