मुंबई: मालेगांव के वर्ष 2008 के बम विस्फोट मामले में विशेष लोक अभियोजक ने आज एक विवाद को हवा देते हुए आरोप लगाया कि गत वर्ष मई में नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उनसे इस मामले में आरोपी हिंदु चरमपंथियों के खिलाफ नरम रुख अपनाने को कहा था.
मामले में विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान ने दावा करते हुए कहा, ‘‘एनआईए के एक अधिकारी ने मुङो फोन किया और कहा कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं. उसके बाद वह पिछले साल किसी वक्त मुझसे मिले और इस मामले में आरोपियों के प्रति नरम रहने को कहा.’’ उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि अधिकारी को इस संबंध में निश्चित रुप से आला अधिकारियों से निर्देश मिले होंगे.
अभियोजक ने कहा, ‘‘इस साल 12 जून को एक बार फिर वही अधिकारी मुझसे मिले और मौखिक रुप से कहा कि मेरी जगह इस मामले में किसी अन्य वकील को नियुक्त किया जाने वाला है. मैने उनसे कहा कि मेरे बिल का भुगतान करवा दें और इस मामले में अभियोजक के तौर पर मेरा नाम हटवा दें. हालांकि आज तक न तो मेरे स्थान पर किसी अन्य वकील को नियुक्त करने की कोई अधिसूचना जारी हुई और न ही मेरे बिल अदा किए गए.
सालियान ने हालांकि उस अधिकारी का नाम बताने से इंकार कर दिया, जिसने उनसे मुलाकात की थी. अभियोजक ने कहा कि बिल की अदायगी को लेकर एनआईए के साथ उनका विवाद है. एनआईए उन्हें सीबीआई के अभियोजकों के बराबर फीस देने को तैयार है, जबकि सालियान इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उनके अनुसार उन्हें अधिक भुगतान किया जाना चाहिए, जैसा एनआईए ने पहले किया है.