नयी दिल्ली :भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि आपातकाल ऐसे नहीं आता, तानाशाही मानसिकता से आता है. आपातकाल के 40 वर्ष होने पर भाजपा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में आपातकाल को लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. विश्व में सबसे बड़ा, मजबूत और सबसे परिवर्तन का लोकतंत्र भारत है. 1975 से 1977 के अपातकाल का समय लोकतंत्र नहीं था.
इन सब के बीच अमित शाह ने आपातकाल के दौरान में जेल में डाले गये राजनेताओं और विभिन्न हस्तियों को सम्मानित भी किया. इस सम्मान समारोह में जहां एक ओर सभी प्रमुख लोगों को बुलाया गया था. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को नहीं आमंत्रित किया गया था. विपक्ष के पास भाजपा पर हमला करने का एक बहाना और मिल गया. गौरतलब है कि आपातकाल के दौरान आडवाणी को भी जेल भेजा गया था. पिछले सप्ताह आडवाणी से फिर से आपातकाल जैसी स्थिति का संदेह जता कर काफी सुर्खियां बटोरी थीं.
शाह ने कहा कि आपातकाल केवल सत्ता बचाने के लिए लागू किया गया था. 1971 में इंदिरा के नेतृत्व में पार्टी में व्यक्ति पूजा की प्रवृति शुरू हो गयी. उन्होंने कहा कि इंदिरा जी की पहली बार चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस में कई परिवर्तन आये. पार्टी दो फाड़ हो गई. एक बड़ा धड़ा दिल्ली में केंद्रित हो गया और इंदिरा जी उस धड़े की नेता बनीं. पूरी कांग्रेस इंदिरा जी के हाथ में आ गई. जिन लोगों ने उस समय कांग्रेस छोड़ी उन्हें पार्टी में रहकर संघर्ष करना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि अगर वे संघर्ष करते तो कभी भी आपातकाल की स्थिति नहीं होती. एक समय कांग्रेस में ऐसी परंपरा हो गई कि जो भी इंदिरा जी की प्रशंसा करेगा वह पार्टी में अच्छा पोजिशन पायेगा. ऐसे में पार्टी में सही लोगों की कमी में हो गई. 1971 से लेकर 75 तक देश की स्थिति काफी खराब रही. व्यवस्था चरमरा गई थी. लोगों में विरोध था. सत्ता पर संकट मंडराने लगा. सत्ता को बचाने के लिए ही उस समय आपातकाल लगाया गया.
उन्होंने कहा किउस समय के कांग्रेस में काबिल लोग हाशिए पर चले गये. भाजपा अघ्यक्ष अमित शाह ने कहा कि जयप्रकाश ने आंदोलन के माध्यम से बिहार में बदलाव का प्रयास किया था. उन्हें रोकने का हर संभव प्रयास किया गया. उस समय देश की जो स्थिति थी. उसकी कल्पना मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं. अपने संबोधन में शाह ने कांग्रेस और इंदिरा गांधी की जमकर आलोचना की.