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बलात्कारी विकृत मानसिकता वाले, उनके लिए किसी तरह की सहानुभूति की आवश्यकता नहीं

चेन्नई: बलात्कार के एक केस को देख रहे मद्रास हाईकोर्ट के एक जज ने आज कहा कि बलात्कारियो के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जाना चाहिए. जज पी देवदास ने आज महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अत्याचार पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि विकृत मानसिकता वाले इस तरह के दरिंदों के […]

चेन्नई: बलात्कार के एक केस को देख रहे मद्रास हाईकोर्ट के एक जज ने आज कहा कि बलात्कारियो के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जाना चाहिए. जज पी देवदास ने आज महिलाओं और बच्चों पर हो रहे अत्याचार पर चिन्ता जाहिर करते हुए कहा कि विकृत मानसिकता वाले इस तरह के दरिंदों के साथ सहजता से पेश नहीं आना चाहिए.

न्यायधीश देवदास का यह बयान एक व्यक्ति के 10 साल के कठोर कारावास की सजा के आलोक में आया है. इस व्यक्ति पर एक साढ़े चार साल की बच्ची से दुष्कर्म का आरोप सिद्ध हुआ है. यह फैसला 20 दिसंबर 2010 को आया. जब बच्ची के साथ यह घटना हुई थी उस वक्त बच्ची की उम्र साढ़े चार साल थी. जज ने कहा कि आज के समय में महिलाएं और बच्चे विकृत मानसिकता वाले पुरुषों का शिकार हो रहे हैं. यह एक उद्देश्यविहीन अपराध है. यह एक विकृत मानसिकता है. इस तरह के आपराधिक आचरण सहानुभूति के लायक नहीं है. इस तरह के दरिंदों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.

सेंथिल कुमार की याचिका को खारिज करते हुए न्यायधीश देवदास ने कहा कि एक साढे चार साल की बच्ची एक वयस्क लडकी की तरह अपने उपर किये गये सेक्सुअल अत्याचार के बारे में ठीक-ठीक बयां नहीं कर सकती है. मेडिकल परीक्षण में यह पता चला है कि बच्ची के साथ बलात्कार हुआ है.

गौरतलब है कि इरोड जिले के ओरिचेरीपुदुर में 2008 में इस बच्ची को मिठाई का लालच देकर इसके साथ बलात्कार किया गया था. उस वक्त बच्ची के माता-पिता घर पर नहीं थे. आरोपी पर एक जांच न्यायालय ने अपहरण और बलात्कार का केस दर्ज किया था. 2010 में कोर्ट ने 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुना दी.

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