ललित मोदी : चुन-चुन कर निशाना?
‘जिज्ञासु’ जैक डार्सी, नोह ग्लास, विज स्टोन और इवन विलियम्स ने जब 2006 में ट्विटर की शुरुआत की होगी, तो उन्हें शायद ही अनुमान होगा कि 140 शब्दों का यह संवाद माध्यम भारतीय राजनीति को इस कदर प्रभावित करेगा. बदली हुई तकनीक ने ‘ललित मोदी’ सरीखे लोगों को वह ‘अस्त्र’ दे दिया, जिसका प्रयोग वह […]
‘जिज्ञासु’
जैक डार्सी, नोह ग्लास, विज स्टोन और इवन विलियम्स ने जब 2006 में ट्विटर की शुरुआत की होगी, तो उन्हें शायद ही अनुमान होगा कि 140 शब्दों का यह संवाद माध्यम भारतीय राजनीति को इस कदर प्रभावित करेगा. बदली हुई तकनीक ने ‘ललित मोदी’ सरीखे लोगों को वह ‘अस्त्र’ दे दिया, जिसका प्रयोग वह जब चाहें, तब लोगों को चुन-चुन कर निशाना लगाने के लिए कर सकते हैं.
एक के बाद एक ताबड-तोड ट्वीट
ललित मोदी एक के बाद एक ट्वीट कर ‘लोगों’ के लिए परेशानी खडी कर रहे हैं. एक ओर वे ट्वीट के माध्यम से अरुण जेटली जैसे शीर्ष नेताओं को कोसने का काम कर रहे हैं, वहीं पर बडी ही चतुराई से ललितगेट मुद्दे पर बैकफुट पर खडी भाजपा को राहत की सांस देते हुए अपने नये ट्वीट में प्रियंका गांधी व रॉबर्ट वाड्रा से मिलने की बात कबूली.
1/3 Happy to meet the Gandhi Family http://t.co/43iiC6mL9w in London. I had run into Robert and Priyanka separately pic.twitter.com/JTnaE6eX1A
— Lalit Kumar Modi (@LalitKModi) June 25, 2015
ललित मोदी : सबसे बडे खिलाडी
एक ओर जहां पक्ष-विपक्ष (भाजपा व कांग्रेस) इस पूरे प्रकरण में एक-दूसरे पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं. वहीं, ललित मोदी ने बडी चतुराई से विवाद की डोर अपने हाथ में थाम रखी है. उनके ट्वीट ही इस मुद्दे पर आगे की लडाई को निश्चित करते हैं.
कल तक उनसे पिंड छुडाने पर आमदा भाजपा भी उनके ही ट्वीट को आधार बना कर प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा व कांग्रेस को निशाना बना रही है. अब तक इस पूरे मामले में असली कुंजी ललित मोदी के पास ही है.
राजनीति की दुर्दशा
कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह पूरा प्रकरण भारत की बिगडी व खास्ताहाल राजनीति को दरसाता है. राजनीतिक दलों के पास अब देश से जुडे मुद्दों की कमी है और समझ का अभाव है, जिसके कारण ही ऐसे हालात उत्पन्न हुए हैं कि पक्ष और विपक्ष दोनों की राजनीति ललित मोदी सरीखी शख्सियतों को ईद-गिर्द घूम रही है. यह भारतीय राजनीतिक व्यवस्था पर एक सवाल है.