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ललितगेट, डिग्री व ठेका विवाद : क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंवा रहे हैं अपनी राजनीतिक पूंजी?

इंटरनेट डेस्क ललितगेट के मुद्दे पर कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट ने एक प्रमुख बिजनेस अखबार को दिये इंटरव्यू में एक बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी की. सचिन पायलट ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर अपनी राजनीतिक पूंजी गंवा रहे हैं. सचिन पायलट की यह टिप्पणी यूं तो हर किसी के लिए गौरतलब है, […]

इंटरनेट डेस्क
ललितगेट के मुद्दे पर कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट ने एक प्रमुख बिजनेस अखबार को दिये इंटरव्यू में एक बहुत महत्वपूर्ण टिप्पणी की. सचिन पायलट ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर अपनी राजनीतिक पूंजी गंवा रहे हैं. सचिन पायलट की यह टिप्पणी यूं तो हर किसी के लिए गौरतलब है, लेकिन सबसे ज्यादा इस पर प्रधानमंत्री मोदी को ही गौर करने की जरूरत है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और उनकी पार्टी अमनी महिला शक्ति पर लग रहे आरोपों की आंच में तप रही है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी और महाराष्ट्र की प्रभावी महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे पर हाल में गंभीर आरोप लगे हैं.
एक साथ पारदर्शिता, नैतिकता व ईमानदारी पर सवाल
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सुषमा, वसुंधरा पर ललित मोदी की मदद करने का, स्मृति इरानी पर चुनावी आवेदनों में अपनी शैक्षणिक डिग्रियों का अलग-अलग ब्योरा देने का तो पंकजा मुंडे पर 206 करोड का ठीका बिना निविदा के देने का आरोप लगा है. यानी भाजपा की कुछ नेताओं पारदर्शिता, नैतिकता और ईमानदारी तीनों पर सवाल उठ खडे हुए हैं. जैसी की खबरें आ रही हैं कि वसुंधरा गोपनीयता की शर्त पर ललित मोदी की गवाह बनीं थी और उनके दस्तावेज में हस्ताक्षर किया था, स्मृति से जुडा सवाल नैतिकता व गडबडझाले से जुडा है, जबकि पंकजा मुंडे से जुडा सवाल वित्तीय अनियमितता व भ्रष्टाचार का है.
पीएम मोदी की राजनीतिक पूंजी पर है यह आघात?
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सुषमा, वसुंधरा, स्मृति ईरानी व पंकजा मुंडे पर उठा सवाल क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पूंजी पर उठा सवाल है, सह बात बहुतों के जेहन में होगी. प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी का आरंभिक राजनीतिक उत्थान भले हिंदुत्ववाद की जमीन पर हुआ हो, लेकिन उसे गति तो पारदर्शिता, ईमानदारी, भ्रष्टाचारमुक्ति व विकास ने दी. आज विकास को छोड इन्हीं तीन बिंदुओं पर भाजपा विपक्ष के निशाने पर है, तो क्या पीएम मोदी अपनी अमूल्य राजनीतिक पूंजी गंवा रहे हैं और सचमुच सत्ता के अभी बाकी बचे चार सालों में अपने पार्टीजनों के कारण उनकी इस पूंजी में लगातार छिजन आता गया, तो फिर वे विरोधियों पर उन्हीं मूल्यों के आधार पर राजनीतिक हमले कैसे करेंगे?
प्रधानमंत्री की चुप्पी और भाजपा की रणनीति
प्रधानमंत्री ने अबतक इन मुद्दों पर कोई औपचारिक या सांकेतिक टिप्पणी नहीं की है और मुख्य विपक्ष कांग्रेस बार-बार उनसे चुप्पी तोडने की अपील कर रही है. भााजपा तो फिलहाल यही कह रही है कि वह अपनी इन नेताओं के साथ मजबूती से खडी है. दरअसल, इन सभी नेताओं की अपनी-अपनी अहमियत है. ऐसे में पार्टी के लिए इन के खिलाफ कदम उठाना आसान नहीं है.
संसद का सत्र होगा टकराव पूर्ण
यह तह है कि अगले महीने शुरू होने वाला संसद का बजट सत्र काफी हंगामेदार होगा. भाजपा सरकार व पीएम नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर घेरने का भाजपा खुला एलान कर चुकी है. इससे संसद का यह महत्वपूर्ण सत्र प्रभावित होगा, जिसमें जीएसटी, भूमि विधेयक सहित कई अहम विधेयक पारित करवाये जाने हैं. इस राजनीतिक टकराव की कीमत तो देश को ही चुकाना पडेगा.

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