जम्मू : ऐतिहासिक श्री रणबीर सिंह पुस्तकालय से सैकडों दुर्लभ पुस्तकें गुम हो गई हैं. इन दुर्लभ पुस्तकों का कोई दूसरा संस्करण या प्रतिलिपियां भी बाजार में उपलब्ध नहीं हैं. इसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी में हुआ है. आरटीआइ कार्यकर्ता रमन शर्मा द्वारा दायर एक आवेदन पत्र के जवाब में बताया गया कि पुस्तकालय से हर सप्ताह पांच दुर्लभ किताबें गायब हो रही हैं. शर्मा ने कहा, ‘पुस्तकालय के उपाध्यक्ष की तरफ से प्राप्त हुए जवाब में खुलासा किया गया है कि पिछले दस सालों में पुस्तकालय में 2400 से ज्यादा पुस्तकें खराब हो गई.’
इसमें बताया गया है कि इसी अवधि में पुस्तकालय के सदस्यों ने 327 दुर्लभ पुस्तकों को यहां से लिया लेकिन वापस नहीं लौटाया. क्या ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई की गई? इस सवाल के जवाब में अधिकारी ने बताया कि ऐसे सदस्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई और ना ही उनकी सदस्यता को निलंबित या समाप्त किया गया. उत्तर में बताया गया है कि इधर-उधर हुई इन पुस्तकों में कानून, आध्यात्म, धर्म, अकादमिक, इतिहास, स्वास्थ्य, राजनीति, संस्कृति और कला पर स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय लेखकों की कई दुर्लभ पुस्तकें शामिल हैं.
इनमें जॉर्ज मोरो, खुशवंत सिंह, जवाहरलाल नेहरु और प्रोफेसर भीम सिंह की पुस्तकें भी शामिल हैं. खोई हुई किताबें डोगरी, उर्दू और हिंदी भाषा में थी जिनमें से अधिकतर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र के धार्मिक इतिहास की जानकारी देने वाली थीं. शर्मा ने बताया कि विभाग ने इन 327 दुर्लभ किताबों की कीमत अंदाजन 70,510 रुपये बताई है. लेकिन इसके सदस्यों के पास दरअसल ऐसी कई किताबें हैं जिनकी कोई अन्य प्रति बाजार में मौजूद नहीं है.
पुस्तकालय के नियमों के अनुसार सदस्यों को 14 दिन के भीतर किताब लौटानी होती है लेकिन कुछ सदस्यों ने फरवरी 2005 से किताबें नहीं लौटाई हैं. विभाग ने बताया कि वर्तमान में पुस्तकालय में 57,341 पुस्तकें हैं. पिछले दस सालों में पुस्तकालय का पुस्तकों को खरीदने का खर्च 53,63,541 रुपये रहा है.