सुषमा, वसुंधरा मामले में आक्रामक हुए आडवाणी, नरेंद्र मोदी सरकार को सिखाया “राजधर्म”

नयी दिल्ली : सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे को लेकर विवाद के मद्देनजर मोदी सरकार को परोक्ष संदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा को कायम रखने की जरुरत है और उन्होंने याद किया कि कैसे हवाला घोटाला में अपना नाम आने के तुरंत बाद उन्होंने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 27, 2015 9:24 PM

नयी दिल्ली : सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे को लेकर विवाद के मद्देनजर मोदी सरकार को परोक्ष संदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज कहा कि सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा को कायम रखने की जरुरत है और उन्होंने याद किया कि कैसे हवाला घोटाला में अपना नाम आने के तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. आडवाणी ने हवाला घोटाला में संलिप्तता के आरोप लगाने के बाद 1996 में संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और इस मामले में क्लीन चिट मिलने के बाद 1998 में वह संसद के लिये फिर से निर्वाचित हुये.

हवाला कारोबारी एस के जैन की डायरी की प्रविष्टियों को सीबीआई ने आडवाणी समेत शीर्ष नेताओं के खिलाफ अहम सबूत के तौर पर पेश किया था. बंगाली दैनिक आनंद बाजार पत्रिका के अनुसार आडवाणी ने कहा, ‘एक नेता के लिए जनता का भरोसा हासिल रखना सबसे बडी जिम्मेदारी है. नैतिकता जो मांग करती है वह ‘राजधर्म’ है और सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा कायम रखने की जरुरत है.’

स्वराज और राजे ललित मोदी विवाद में फंसी हुई हैं. उन्होंने ब्रिटेन में ललित मोदी के यात्रा दस्तावेजों के सिलसिले में आइपीएल के पूर्व प्रमुख की मदद की थी. इसको लेकर कांग्रेस ने उनके इस्तीफे की मांग की. आडवाणी ने स्वराज और राजे से संबंधित विवाद पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं आज इन सब से काफी दूर हूं. इसलिए मुझे कुछ भी टिप्पणी नहीं करनी है. मैं फैसला करने में शामिल नहीं हूं और इसलिए मुझे इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करनी है.’

अखबार के ऑनलाइन संस्करण के अनुसार आडवाणी ने कहा कि उन्होंने हवाला घोटाला के बाद खुद से संसद की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. उन्होंने कहा, ‘जिस दिन जैन डायरी के आधार पर मेरे खिलाफ आरोप लगाये गये उसी शाम पंडारा रोड पर अपने मकान में बैठकर (संसद सदस्य) के तौर पर इस्तीफा देने का फैसला किया. यह किसी और का फैसला नहीं था. यह मेरा था. उसके तुरंत बाद मैंने अपने फैसले के बारे में सूचित करने के लिए वाजपेयी को कॉल किया. उन्होंने मुझसे इस्तीफा नहीं देने को कहा लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी.’

उन्होंने कहा, ‘लोग चुनाव में हमारे पक्ष में मतदान करते हैं. इसलिए लोगों के प्रति प्रतिबद्धता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस्तीफा मानदंड होना चाहिए आडवाणी ने कहा, ‘मैं अपने बारे में कह सकता हूं. दूसरे क्या करेंगे, उनका क्या मामला है मैं नहीं जानता हूं आर मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.’

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