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सुषमा स्‍वराज ने की मोदी सरकार के कामकाज की तारीफ

बैंकॉक : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के घरेलू और विदेशी मोर्चों पर किये गये 13 महीने के कामकाज की तारीफ करते हुए आज कहा कि बदलाव आया है और अब जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है. 16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन में शामिल होने यहां आईं सुषमा ने […]

बैंकॉक : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के घरेलू और विदेशी मोर्चों पर किये गये 13 महीने के कामकाज की तारीफ करते हुए आज कहा कि बदलाव आया है और अब जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है. 16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन में शामिल होने यहां आईं सुषमा ने भारतवंशियों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अपनी मातृभूमि की ओर ध्यान देना चाहिए और ‘माटी का कर्ज’ लौटाना चाहिए. 16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन की शुरुआत कल होगी जिसमें 60 देशों के 600 से अधिक विद्वान शामिल हो रहे हैं.

पिछले 30 साल में भारत में बनी किसी पार्टी की पहली बहुमत सरकार से जनता में अनेक अपेक्षाएं होने की बात स्वीकारते हुए सुषमा ने दावा किया, ‘पिछले एक साल में विदेशों में भारत की छवि सुधरी है. जब भारत की छवि सुधरती है तो वहां रहने वाले भारतीयों को भी संबल मिलता है. आज जब भारत बोलता है तो दुनिया उसे सुनती है. बदलाव आया है. भारत में भी यह बदलाव दिखाई देता है.’ उन्होंने राजग सरकार की अनेक योजनाओं के नाम गिनाते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह हुआ है.’

वह यहां अपने सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में बोल रहीं थीं जहां योग पर एक निशुल्क मोबाइल एप की भी शुरुआत की गयी. सुषमा ने थाईलैंड में रहने वाले भारतवंशियों से कहा कि भारत में मोदी सरकार के नेतृत्व में हालात बदले हैं और भारत के विकास में उनके योगदान के अपार अवसर हैं. थाईलैंड में एक अनुमान के मुताबिक करीब दो लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं. सुषमा की आज से शुरू हुई तीन दिवसीय यात्रा के दौरान भारत और थाईलैंड दोहरे कराधान से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे.

विदेश मंत्री भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की बैठक की सह अध्यक्षता भी करेंगी जिसमें दोनों देश एक दोहरे कराधान अपवंचन संधि पर हस्ताक्षर करेंगे और 2013 में हस्ताक्षरित प्रत्यर्पण संधि की अभिपुष्टि के दस्तावेजों का आदान प्रदान करेंगे. सुषमा के इस दौरे पर किसी एक थाई विश्वविद्यालय में एक आयुर्वेद पीठ की स्थापना के लिये सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर होंगे. विदेश मंत्री इस दौरान भारतीय व्यावसायिक नेताओं से मिलेंगी और शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेंगी. वह समारोह में संस्कृत में अपना भाषण देंगी.

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