नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है. राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वाले मानते हैं कि केजरीवाल विवादों के कारण मीडिया में बने रहे और मीडिया ने उन्हें आम आदमी के चेहरे के रूप में पेश किया और उनकी लोकप्रिया बढ़ती गयी. एक जनआंदोलन से उभरा हुआ नेता जो भ्रष्टाचार और भ्रष्ट राजनीति के खिलाफ खड़ा हुआ, वह अपनी अजीब राजनीति से सुर्खियों का सरताज बना रहा.
दिल्ली सरकार के मुखिया के मंत्रियों पर फरजी डिग्री रखने, विदेशी महिलाओं के साथ बदसलूकी करने, का आरोप लगा. एक आंदोलनकारी भले ही सत्ता में आ गया पर अपने मिजाज को सत्ता के अनुरूप बदलने में असफल रहा है. सरकार में आने के बाद भी केंद्र और राज्य के बीच खींचतान जारी है. कभी एसीबी को लेकर तो कभी पूर्ण राज्य के दर्ज को लेकर. आइये एक नजर डालते हैं अरविंद केजरीवाल के विवादोंसे भरे सफर पर :
इनकम टैक्स कमिश्नर के पद पर विवाद
अरविंद केजरीवाल ने रैलियों और सभाओं में कई बार इस बयान को दोहराया है कि वह इनकम टैक्स कमिश्नर के पद पर रहकर करोड़ो कमा सकते थे, लेकिन उन्हें भ्रष्ट राजनीति में सुधार लाना था इसलिए वह सड़क पर उतरे. उनके इस बयान को लेकर खूब हंगामा हुआ. इनकम टैक्स विभाग ने भी इस पर आपत्ति जतायी की इस तरह के बयान से उनकी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा एक और विवाद जो केजरीवाल के पीछे पड़े रहे वो थे सरकारी कर्मचारी होने के बाद भी वह छुट्टी पर थे और आवेदन में दूसरा कारण बताकर वह कोई और ही काम कर रहे थे.
अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल का साथ छुटने पर विवाद
जंतर मंतर पर अन्ना हजारे की भूख हड़ताल ने पूरे देश में एक ऐसा माहौल खड़ा कर दिया जिसने पूरे देश को अगस्त क्रांति से जोड़ दिया. सड़क पर जनता की गूंज का असर संसद पर भी पड़ा और जनलोकपाल बिल पर नयी बहस छिड़ी. किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, मनीष सिसोदिया समेत कई ऐसे नाम थे जो इस आंदोलन के दौरान बार- बार सुने गये लेकिन अरविंद केजरीवाल पर अत्यधिक महत्वकांक्षा का आरोप तक लगा जब आंदोलन के लिए खड़े हुए आम लोग अब खास बनते जा रहे थे.
अंतत : यह फैसला लिया गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन अब सड़क से नहीं संसद के अंदर से लड़ी जायेगी. पार्टी के अंदर से यह खबरें छनकर आयी की यह यह फैसला केजरीवाल की अत्यधिक महत्वकांक्षा रखने के कारण लिया गया था. अन्ना ने पहले इसका समर्थन किया फिर पार्टी बनाने का विरोध हुआ. अतत : आंदोलन दो गुटों में बट गया एक गुट जो अन्ना के साथ था जिसमें किरण बेदी सरीखी नेता था, जिन्हें राजनीति में आकर भ्रष्टाचार से लड़ने से एतराज था तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल का गुट था, जिनका मानना था कि गंदगी की सफाई के लिए वहां उतर कर उसे साफ करना होगा. अरविंद केजरीवाल पर अन्ना हजारे का इस्तेमाल करके अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को साधने का आरोप लगा.
आम से खास होने का विवाद
अरविंद केजरीवाल ने दिसंबर 2012 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव में तत्कालीनमुख्यमंत्री शीला दीक्षित को टक्कर दी और पार्टी 70 में से 28 सीट जितने में कामयाब रही. चुनाव से पहले पार्टी ने वीवीआईपी कल्चर खत्म करने, सरकारी बंगला ना लेने, गाड़ी इस्तेमाल ना करने और सुरक्षा ना लेने का वादा किया था. चुनाव जीतते ही नेताओं के रंग बदल गये. अरविंद केजरीवाल ने बड़े घर के लिए चिट्ठी लिखी जो सार्वजनिक हो गयी. मंत्रियों ने सरकारी गाड़ियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. इस कदम से आप की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे और विपक्षियों ने भी इसे लेकर पार्टी को घेरना शुरू कर दिया. अरविंद केजरीवाल के कई फोटो सोशल नेटवर्किंग साइट पर साझा किये गये जिसमें उन्हें सुरक्षा के घेरे में दिखाया गया. बिजनेस क्लास में सफर करते हुए केजरीवाल का वीडियो साझा किया और एक निजी चैलन के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्राइवेट जेट से सफर करने का आरोप लगा. आम से खास बनने की दिशा में केजरीवाल पर लंबे आरोप और विवादों की फेहरिस्त है.
मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने और लोकसभा चुनाव लड़ने का विवाद
दिल्ली में कांग्रेस के साथ गंठबंधन करके सरकार बनाने पर भी खूब सवाल खड़े हुए लेकिन केजरीवाल के उस कदम पर हंगामा मच गया जब उन्होंने जनलोकपाल बिल पास ना होने का कारण बताते हुए इस्तीफा दे दिया. इसके तुरंत बाद लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया गया. इन कदमों को लेकर अरविंद केजरीवाल खूब आरोप लगे और मीडिया की सुर्खियां बटोरते रहे. इस दौरान पैसा लेकर टिकट बांटने और जमीनी नेताओं की अनदेखी करके पैसे वालों को टिकट देने का आरोप अरविंद केजरीवाल पर लगा. लोकसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल पर स्याही, अंडे फेंकने और थप्पड़ मारने जैसी कई घटनाएं घटी जो विवाद में बनी रही. इसके बाद ये घटनाएं बड़ती गयी और पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ भी यह होने लगा जिसमें योगेन्द्र यादव पर कालिख पोतने का मामला भी सामने आया. लोकभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को टक्कर दी इस चुनाव में पार्टी को करारी शिक्सत मिली और कई सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गयी.
केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर विवाद
दिल्ली में राष्ट्रपति शासन को हटाकर दोबारा फरवरी में चुनाव कराये गये. इस चुनाव में केजरीवाल को 70 में से 67 सीटें मिली. पहले केजरीवाल ने यह भी कहा था उन्हें बहुमत नहीं दिया गया जिससे फैसले लेने में परेशानी आयी. इस चुनाव में केजरीवाल को पूर्ण बहुमत देकर जनता ने उनकी उस शिकायत को भी दूर करने की कोशिश की लेकिन इस बार उन्होंने केंद्र पर काम करने के लिए पूरी शक्ति ना देने का आरोप लगाया. एंटी करप्शन ब्यूरो को लेकर केंद्र के साथ खींचतान की खबरें सुर्खियों में रही. उप राज्यपाल नजीब जंग पर अरविंद केजरीवाल ने ठीक से काम ना करने देने का आरोप लगाया. दिल्ली सरकार ने एसीबी पर केंद्र के अधिकार को लेकर हाई कोर्ट में चुनौती दी है. अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ धरना दिया था जिसमें उन्होंने गृह मंत्री के अधिकारों को लेकर सवाल खड़ा किया था इसी मंच से उन्होंने ऐलान किया था हां मैं आराजकतावदी हूं.