नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘डिजिटल इंडिया’ के साथ भारत के भविष्य का खाका बदलने को तैयार हो गया है. इस अभियान के आगाज के साथ ही देश में 4.5 लाख करोड़ रु पये का निवेश का एलान हो गया है. इससे 18 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. वस्तुत: दुनिया में जो बदलाव आ रहा है, हमें इसे समझने की जरूरत है. डिजिटल क्र ांति से हर व्यक्ति का सपना पूरा होगा. देश का हर गांव इंटरनेट से जुड़ जायेगा. इससे पहले केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी व संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने समारोह की शुरु आत करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया का मकसद है ‘समृद्ध भारत और इसका सार है साक्षर भारत.’
डिजिटल इंडिया सप्ताह का उद्घाटन करते हुए अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ के साथ डिजाइन इंडिया भी जरूरी है. यह अभियान भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से निबटने, पारदर्शी और प्रभावी शासन उपलब्ध कराने व गरीब-अमीर के बीच खाई को पाटने के लिए कारगर सिद्ध होगा. उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी में मोबाइल सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित राजकाज की सुविधा कायम किये जाने पर जोर देते हुए कहा कि ‘हमें ई-गवर्नेस से एम-गवर्नेस की ओर बढ़ना है. एम-गवर्नेस का मतलब मोदी शासन नहीं है. इसका मतलब मोबाइल-गवर्नेस है.’ प्रौद्योगिकी यह सुनिश्चित करती है कि नागरिक-सरकार के बीच संपर्क की कड़ी ईमानदार हो. ई-गवर्नेस, ईजी और इकोनॉमिकल गवर्नेस है, जो जरूरी है. आने वाले समय में बच्चों की किताब का बोझ में भी यही खत्म कर देगा. सारे कारोबार तकनीक पर आधारित हो जायेंगे.
साइबर युद्ध की चुनौतियों को समझे
साइबर सुरक्षा को लेकर व्याप्त चिंताओं को मुखर करते हुए मोदी ने कहा कि देश को रक्त हीन साइबर युद्ध की चुनौतियों से निबटने के तरीके निकालने होंगे. दुनिया इससे भयभीत है. हमें इसमें बड़ी भूमिका निभानी है. हमें इस चुनौती को स्वीकार करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पूरी मानवता शांति से रहे. साइबर सुरक्षा की चर्चा करते हुए कहा कि 10 वीं या 12 वीं पास कोई व्यक्ति हजारों मील दूर बैठकर बस एक माउस क्लिक कर किसी के बैंक खाते को साफ कर सकता है. इस खतरे का समाधान निकालना ही होगा. मोदी ने कहा कि भारत भले ही औद्योगिक क्रांति से वंचित रह गया हो लेकिन आइटी क्रांति से चूक नहीं करेगा.
नयी कंपनियों (स्टार्ट अप) को सरकार की तरफ से समर्थन का वादा करते हुए कहा कि देश के पास इस क्षेत्र में अमेरिका के बाद दूसरा देश बनने की क्षमता है. आइटी दुनिया में संभावनाओं के बारे में बात करते हुए कहा कि अब हम सूचना को ‘डिजिटल लाकर’ में रख सकते हैं. निजी कंपनियां ऐसी सेवाओं की पेशकश कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि हमें विरासत को आधुनिक तकनीक से जोड़ना है. अभी देश में 25-30 करोड़ इंटरनेट यूजर हैं, यह काफी बड़ी संख्या है. हालांकि इससे वंचित लोग भी दुनिया में सर्वाधिक हैं. अब डिजिटल इंडिया को वहां ले जाना है जहां के लोगों तक इसकी पहुंच नहीं है. मोदी ने कहा कि डिजिटल डिवाइड की वजह से भविष्य में समाज में खाई बन जायेगी. इसलिए गरीब से गरीब तक इसकी पहुंच होनी चाहिए. तभी वह विकास का लाभ ले पायेगा.आइटी के लाभ का जिक्र करते हुए कहा कि यह भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से निबटने में मदद करता है. कोयला ब्लॉकों की पारदर्शी नीलामी इसका गवाह है.
डिजिटल हाईवे की जरूरत
मोदी ने कहा कि आज बच्चा भी मोबाइल की ओर आकर्षित होता है. वह भी डिजिटल ताकत को समझता है. समय की पुकार है कि हम इसे समङों और आगे बढ़ें. पहले लोग नदी के किनारे पर बसते थे, फिर हाइवे के पास जहां शहर बसा. पर, अब मानव जाति वहां बसेगी जहां से ऑप्टिकल फाइबर गुजरेगा. लोग ‘डिजिटल हाईवे’ के साथ रहना पसंद करेंगे.
वह जो आप चाहते हैं
करीब एक लाख करोड़ रु पये के इस अभियान का मकसद जनता के जीवन को सुविधाओं से लैस करना और सुरक्षित बनाना है. इसके तहत ई-लॉकर की सुविधा भी मिलेगी ताकि आपके पैन कार्ड, पासपोर्ट, अंक पत्र, डिग्री समेत अन्य अहम दस्तावेज पूरी तरह से सुरिक्षत हो जायें. साथ ही सारी चीजें इलेक्ट्रॉनिक रूप में रहने से कागज की भारी बचत होगी, जिससे पर्यावरण को भी फायदा होगा. इस अभियान से शिक्षा, अस्पताल समेत सभी स्वास्थ्य सेवाओं, सरकारी दफ्तरों को जोड़ा जायेगा. योजना के तहत 2019 तक देश के 2.5 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ा जायेगा. 2.5 लाख स्कूलों और सभी विश्वविद्यालयों में वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही आम लोगों के लिए पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट भी खोले जायेंगे.
सेवाओं की डिलिवरी गांवों तक
इस अभियान के तहत सरकार 10-15 नये पोर्टल का शुभारंभ करेगी ताकि जनता से जुड़ी सेवाओं की डिलिवरी गांवों तक संभव होगी. इन पोर्टल में शिक्षा के लिए ई-बस्ता पोर्टल अहम होगा. इसके जरिये सरकार एनसीइआरटी की किताबों को ऑनलाइन कराया जायेगा. दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए डिजिटल लॉकर सुविधा होगी. इससे आम आदमी तक हेल्थ सेवाओं पहुंचाना आसान हो जायेगा. सरकार ई-हॉस्पिटल सेवाओं को भी लांच करेगी इसके तहत गांव में बैठा व्यक्ति कॉमन सर्विस सेंटर के जरिये सीधे एम्स और दूसरे अहम सरकारी अस्पतालों से जुड़ सकेगा, जहां सलाह और दवाओं की सुविधा दी जायेगी. इसके अलावा देश के किसी भी सरकारी अस्पताल में अप्वाइटमेंट लेने की सुविधा भी शुरू होगी. इसके अलावा ई-विजिटर सेवा का वेब पोर्टल भी शुरू किया जायेगा ताकि कोई भी व्यक्ति दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के मंत्रलय और विभागों के प्रमुख अधिकारियों से ऑनलाइन समय ले सकेगा.
सुविधाएं जो मिलेंगी
इस अभियान के तहत डिजिटल इंडिया पोर्टल, मोबाइल ऐप, माईगॉव मोबाइल ऐप, स्वच्छ भारत मिशन ऐप और आधार मोबाइल अपडेट ऐप जैसी सुविधाओं की पेशकश की जा रही है. इसके माध्यम से लोगों को जहां सरकारी नीतियों व कार्यक्रमों की जानकारी मिलेगी, वहीं उनका लाभ भी मिलेगा. इसके जरिये लोग पहली बार सरकार से प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ेंगे. दूरसंचार विभाग 11 राज्यों में भारतनेट शुरू करेगा और देश भर में वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध करायेगा. नेक्स्ट जेनरेशन नेटवर्क भी इस योजना का हिस्सा है.
बढ़ेगा रोजगार
कैंपेन के तहत सरकार आइटी, टेलिकॉम और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के विस्तार पर पर्याप्त ध्यान देगी. इसके लिए लोगों को उचित प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिससे 1.7 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष और कम से कम 8.5 लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलने की उम्मीद है. संचार और आइटी मंत्रलय इस प्रोग्राम के क्रि यान्वयन की नोडल एजेंसी है और वह डिजिटल इंडिया कैंपेन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए इससे जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करेगी. इससे भी रोजगार का सृजन होगा.
भागीदार बनेंगे देश के प्रमुख उद्योगपति, निवेश का किया एलान
टाटा समूह के चेयरमैन साइरस मिस्त्री : 60,000 लोगों को नौकरी
रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी : 2,50,000 करोड़ का निवेश
आदित्य बिड़ला के चेयरमैन कुमार मंगलम : 57,000 करोड़ का निवेश
भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल :1,00,000 करोड़ का निवेश
वेदांता समूह के प्रमुख अनिल अग्रवाल : 40,000 करोड़ का निवेश
एडीएजी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी : 10,000 करोड़ का निवेश