नन्हें पर्यावरण योद्धाओं ने बढ़ाया देश का मान, मिला इंटरनेशनल यंग इको हीरो अवार्ड
इंटरनेशनल यंग इको हीरो अवार्ड के लिए नामों का चयन पर्यावरण विज्ञान, जीव विज्ञान और शिक्षा विशेषज्ञों की समिति करती है. एक्शन फॉर नेचर ने इस साल 27 देशों और 32 अमेरिकी राज्यों के 339 पर्यावरण नायकों को नवाजा गया है. इस साल 5 भारतीय बच्चों के अलावा कई अन्य भारतीय मूल के अमेरिकी किशोर सम्मनित किये गये.
बीते दिनों भारत के पांच किशोरों समेत दुनियाभर के 17 किशोर पर्यावरण योद्धाओं को वर्ष 2023 के ‘इंटरनेशनल यंग इको हीरो अवार्ड’ के लिए चुना गया. यह पुरस्कार 8 से 16 वर्ष की आयु के उन बच्चों एवं किशोरों को प्रदान किया जाता है, जो पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. अमेरिका स्थित एक्शन फॉर नेचर नाम की संस्था द्वारा दिये गये पुरस्कार में इस वर्ष अपने देश से ईहा दीक्षित, मान्या हर्ष, निर्वाण सोमानी, मन्नत कौर व कर्णव रस्तोगी शामिल हैं. तुम भी इन पर्यावरण योद्धाओं के बारे में जानो.
बाल पर्यावरणविदों की सूची में ईहा को मिला प्रथम पुरस्कार
उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली ईहा दीक्षित अभी 9 साल की है. ईहा जब पांच वर्ष की ही थी, तभी उसने ग्रीन ईहा स्माइल फाउंडेशन की स्थापना की थी. उस समय से ही वह हर रविवार पौधारोपण कर रही है. फाउंडेशन से अब तक देश के कई शहरों से वॉलिंटियर जुड़ चुके हैं. सभी मिलकर 20 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं. ईहा व उसके फाउंडेशन के साथियों द्वारा लगाये गये बहुत-से पौधे अब पेड़ बन चुके हैं. ईहा ने अपने घर पर लोगों से दान में मिले पौधों को एकत्रित कर एक प्लांट बैंक भी तैयार किया है. इन पौधों का इस्तेमाल बीज प्राप्त करने के लिए किया जाता है और कोई भी इस प्लांट बैंक से पौधे ले जाकर लगा सकता है. छोटी-सी उम्र में ईहा के द्वारा किये गये प्रयासों के लिए उसे बाल पर्यावरणविदों की सूची में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
पर्यावरण विषयों पर मान्या लिख चुकी हैं सात पुस्तकें
मान्या हर्ष, द लिटिल एनवायरमेंटलिस्ट के नाम से जानी जाती है. हर्षा ने प्रतियोगिता में 8-12 वर्ष आयु वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया है. वह अपने ब्लॉग, किताब और यूट्यूब चैनल के जरिये लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक कर रही है. 12 वर्ष की मान्या ने पर्यावरण विषयों पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं. मान्या स्कूल के बाद अधिकांश समय पर्यावरण संबंधी गतिविधियों में बिताती हैं, जिनमें पौधे लगाना, बीज वितरित करना, कपड़े के थैले दान करना और सफाई अभियान आयोजित करना शामिल है. मान्या ने अब तक पांच हजार से ज्यादा बैग वितरित किये हैं. साढ़े तीन हजार पौधे लगाये हैं और तीन हजार से अधिक सीड बॉल यानी बीज जगह-जगह फेकें हैं.
13 से 16 वर्ष आयु वर्ग में दूसरे स्थान पर रहे निर्वाण
अपने देश की राजधानी दिल्ली के 16 वर्षीय निर्वाण सोमानी ने प्रतियोगिता में 13 से 16 वर्ष आयु वर्ग में दूसरा स्थान प्राप्त किया है. निर्वाण ने फैशन उद्योग से जुड़े पर्यावरणीय दुष्प्रभाव से निबटने के लिए प्रोजेक्ट जींस-ब्लू टू ग्रीन संगठन की स्थापना की है. उन्होंने खराब जींस को यहां-वहां फेंकने की जगह उनसे जरूरतमंदों की मदद करने का बीड़ा उठाया है. वह अब तक छह हजार जोड़ी जींस एकत्रित कर चुके हैं और उससे बने 800 स्लीपिंग बैग वितरित किये हैं. निर्वाण की पहल ने पर्यावरण और जरूरतमंद लोगों के जीवन दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है. निर्वाण के अनुसार, पर्यावरणीय प्रभाव पर विचार किये बिना विचारहीन विकास की अंधी दौड़ में शामिल हो जाना एक बड़ी समस्या है, जिसके दीर्घकालिक नाकारात्मक प्रभाव नजर आ रहे हैं. ज्यादातर लोग खरीदारी करते समय केवल वित्तीय लागत के बारे में सोचते हैं और जबकि प्रकृति पर उसके प्रभाव को अनदेखा करते हैं.
प्लास्टिक कचरे को कम करने के प्रयासों के लिए सम्मान
मुंबई के रहने वाले 13 वर्षीय कर्णव रस्तोगी को प्रतियोगिता में ‘स्पेशल मेंशन’ मिला है. कर्णव प्लास्टिक कचरे को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निबटने के लिए जागरूकता बढ़ा रहे हैं. उन्होंने दो किताबें लिखी हैं. पहली किताब है- कार्तिक, डैडी एंड प्लास्टिक : प्लास्टिक प्रदूषण को मात देने के बारे में एक यात्रा. वहीं, दूसरी पुस्तक है कार्तिक, मिक्सी एंड मॉन्स्टर : समुद्र प्रदूषण के बारे में एक यात्रा. उनका लक्ष्य प्लास्टिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में युवाओं को शिक्षित करना है. इन मुद्दों से निबटने के लिए उन्होंने अपनी पुस्तकों की पांच हजार प्रतियां वितरित की हैं. अनगिनत युवाओं को परिवर्तन के चैंपियन बनने के लिए प्रेरित किया है. कर्णव रस्तोगी के अनुसार उनका मानना है कि छात्र परिवर्तन के सबसे बड़े चैंपियन हैं.
अपने आयु वर्ग में तीसरे स्थान पर रहीं मन्नत
दिल्ली की रहने वाली 15 वर्षीय मन्नत कौर ने प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया है. मन्नत की परियोजना का उद्देश्य मीठे पानी की आपूर्ति और बेकार और अनुपयोगी पानी को फिर से इस्तेमाल करना है. मन्नत ने गैर-पीने योग्य उद्देश्यों के लिए घरों से गंदे पानी को इकट्ठा करने, फिल्टर करने और पुन: उपयोग करने के लिए एक प्रणाली तैयार की है. इस प्रकार वह कीमती पेयजल के संरक्षण के काम में जुटी हैं. उनके आविष्कार से संभावित रूप से रोजाना हजारों लीटर ताजे पानी को बचाया जा सकता है. शहर के सीवेज के लिए परिचालन और बुनियादी ढांचे की लागत को कम कर सकता है.
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