50 साल पहले इंडिया ने पाक को पस्त कर पूरब में पैदा किया नया देश,’भारत की दुर्गा’ के सामने दुश्मन हुआ नतमस्तक
Vijay Diwas 2021: दरअसल, वर्ष 1971 की जंग की शुरुआत पाकिस्तान ने की थी. उसकी ओर से भारतीय वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले किए गए थे. इसका नतीजा यह निकला कि महज 13 दिनों के संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान को पटखनी देकर पूरब में बांग्लादेश नामक एक नए देश को पैदा कर दिया.
नई दिल्ली : आज ‘विजय पर्व’ के 50 साल पूरे हो गए हैं. आज के ही दिन भारत ने पाकिस्तान को पटखनी देकर पूरब में एक नया देश पैदा कर दिया था और सबसे खास बात यह कि भारतीय सैनिकों के हाथों धराशायी होने के बाद दुश्मन देश की सेना ने ‘भारत की दुर्गा’ कही जाने वाली पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के रणकौशल के आगे नतमस्तक हो गई थी. इतना ही नहीं, उस समय के भारतीय सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में लड़ी गई लड़ाई इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई.
महज 13 दिनों में पस्त हो गया था पाकिस्तान
दरअसल, वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच लड़ी गई जंग एक सैनिक संघर्ष थी. इसकी शुरुआत तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के चलते 3 दिसंबर से 16 दिसंबर, 1971 के बीच हुई थी और ढाका समर्पण के बाद ही इसका समापन हुआ था. इस जंग की शुरुआत पाकिस्तान ने की थी. उसकी ओर से भारतीय वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले किए गए थे. इसका नतीजा यह निकला कि भारत की सेना पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवादी गुटों के समर्थन में कूद पड़ी और महज 13 दिनों के संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान को पटखनी देकर पूरब में बांग्लादेश नामक एक नए देश को पैदा कर दिया.
विजय पर्व पर भारत ने प्रदर्शनी का किया आयोजन
भारत के साथ 1971 की जंग में पाकिस्तान के आत्मसमर्पण के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाज़ी की ओर से भारतीय सेना को सौंपी गई एक पिस्तौल और उनकी मर्सिडीज बेंज कार उन अवशेषों में से एक थी, जिन्हें यहां शानदार जीत के 50 साल पूरे होने पर आयोजित दो दिवसीय भव्य ‘विजय पर्व’ की प्रदर्शनी में लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया. सैन्य अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि ‘विजय पर्व’ के तहत इंडिया गेट उद्यान में आयोजित इस कार्यक्रम में करीब 75,000 लोग शामिल हुए.
सशस्त्र बलों ने दिखाई भारत की ताकत
अधिकारियों ने बताया कि सशस्त्र बलों ने युद्ध में इस्तेमाल विभिन्न तरह की बंदूकों, उपकरणों और अन्य सैन्य साजोसामान के अलावा कलारीपयट्टू (भारतीय मार्शल आर्ट) और खुखरी ड्रिल का भी प्रदर्शन किया. युद्ध अवशेषों की प्रदर्शनी में पाकिस्तानी सेना के झंडे, बंदूकें, टैंक और उपकरण शामिल थे जिन्हें 16 दिसंबर, 1971 को 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के बाद जब्त कर लिया गया था. लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी ने भारतीय सेना के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीन, लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा की उपस्थिति में ढाका में आत्मसमर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे. एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि मुख्य आकर्षण जनरल नियाज़ी की मर्सिडीज बेंज कार, उनकी पिस्तौल और वास्तविक मानचित्र थे, जिस पर भारतीय सेना ने 1971 के युद्ध में अभियान की योजना बनाई थी.
स्वर्णिम विजय मशालों के स्वागत समारोह में भाग लेंगे पीएम मोदी
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी गुरुवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर स्वर्णिम विजय मशालों के स्वागत समारोह में भाग लेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, भारत की 1971 के युद्ध में जीत और बांग्लादेश के गठन के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह के एक हिस्से के रूप में पिछले साल 16 दिसम्बर को ही प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अनन्त ज्वाला से स्वर्णिम विजय मशाल को जलाया था.
पीएम मोदी ने जलाई थीं चार मशालें
पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने चार मशालें भी जलाई थीं, जिन्हें अलग-अलग दिशाओं में जाना था. तब से ये चार मशालें सियाचिन, कन्याकुमारी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लोंगेवाला, कच्छ के रण, अगरतला आदि सहित देश के कई हिस्सों में जा चुकी हैं. पीएमओ के मुताबिक, इन मशालों को प्रमुख युद्ध क्षेत्रों और वीरता पुरस्कार विजेताओं और 1971 के युद्ध के दिग्गजों के घरों में भी ले जाया गया.